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अाधुनिक विश्वविद्यालयो मे जो तर्कगास्त्र-Logicपढाया जाता है उसमे "भूठ तर्क'--Fallacy of Logreकी भी एक बात ग्राती है । तर्कशास्त्र, एक वडा जटिल विषय है। तर्कशास्त्र लिखने वाला, पटाने वाला, पटने वाला इन तोनो वर्गो मे, पूर्णरूपेण सुगठित विवेक बुद्धि का अभाव हो, मानस यदि पूर्व ग्रह से युक्त हो-मुक्त न हो और यदि ये तीनो क्रियाए (लिखने की, पढाने की, पढने की) अहभाव की छाया से प्रभावित हो तो उसका क्या नतीजा होगा? ___गणितशास्त्र का ही एक तर्क हम ले ले। कोई पाच आदमी पन्द्रह फीट गहरी नदी पार करना चाहते थे। गणितशास्त्री ने तो हिसाब लगाकर उन्हे बता दिया कि हर एक के हिस्से मे तीन फीट अर्थात् कमर तक पानी अाएगा। ___अब यदि इस गिनती को स्वीकार कर कही ये लोग नदी पार करने को चलने लगे तो उसका क्या नतीजा हो सकता है ? पाचो व्यक्ति डूब जाएगे। गणितशास्त्री की राय के मुताबिक यह तर्क वित्कुल सही था किन्तु व्यवहार में वह प्राणघातक सिद्ध होता है अर्थात् यह तर्क मिथ्या है। यदि इसका अनुसरण किया जाय तो उसमे विवेकशून्यता ही होगी।
मिथ्या इसलिये कि गणित का हिसाव लगाने वाले व्यक्ति ने अादमो और नदी को ध्यान मे रखे विना तथा दोनो के नाप को एक साथ ध्यान मे रखे विना ही विचार किया। उन पाचो आदमियो ने अपनी विवेकबुद्धि का उपयोग किये विना ही उसका अनुसरण किया।