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मै आपको किवास दिला सकता है कि जैन धर्म और जैन तत्त्वज्ञान इतने तो कठिन या उलझे हुए नही है जितना कि समझा जाता है, यदि मनुष्य मे उन ग्रापत्तियों का -- जो शुरूशुरू मे मार्ग मे त्राती हैं - वीरज और क्षमता के साथ सामना करने की हिम्मत हो तो वे आपत्तिया ग्राप-ही-चाप दूर हो जाती हैं। शुरू-शुरू मे यदि जंगल और पहाडो को पार किया जाय तो फिर चारो ओर महकता हुआ नन्दनवन ही हमे फैला हुआ नजर आएगा" मैने जवाव दिया ।
" फिर तो आपके धर्म और तत्त्वज्ञान के बारे में मुझे विशेष जानकारी प्राप्त करनी ही होगी।" उन्होने गम्भीरता पूर्वक कहा ।
"सिर्फ विशेप ही नही बल्कि सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने की कोशिश कीजियेगा ।" मैने जवाव दिया ।
"क्या आप मुझे एक सूची दे सकते है जिसमे अग्रेजी मे लिखित उन पुस्तको का नाम दिया गया हो जिन्हे पढ़कर मै आपके धर्म और तत्त्वज्ञान के वारे मे आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकू" उन्होने अपनी इच्छा प्रकट करते हुए कहा ।
यहा पर मुझे शिकस्त मिली। मैंने अपना सिर झुका लिया । कहने को तो कह दिया, "कुछ सोच-विचार और पूर्ण जाच करने के वाद में ऐमी पुस्तको की एक सूची ग्रापके नाम भिजवा दूंगा ।" इस सूची की खोज में कहाँ करू ? में अपने उन अमरीकन मित्र का ग्राभार आज भी मानता हूँ जिनके कारण इस विषय मे अपने अज्ञान का मुझे भान हुआ ।