________________
२८५
खोज मे निकला था । उस समय हिन्दुस्तान योरपवासियो के लिए अज्ञात देश नही था । उन्हे भारत ग्राने के खुश्की के रास्ते की जानकारी तो थी ही, गौर उस समय भारत के साथ व्यापार-विनिमय भी चलता था, जब कि पश्चिम - गोलार्ध के विषय मे किसी को उस समय जानकारी न थी ।
कोलम्बस निकला तो था हिन्दुस्तान की खोज मे पर उसने खोज निकाला अमेरिका । इन दोनो गोलार्धो मे बसने वाले लोगो के परस्पर सपर्क मे आने का प्रारब्ध ( कर्म ) जगा, काल परिपक्व बना, कोलम्बस को निमित्त बना कर पुरुषार्थ मनुष्य की शोधवृत्ति के भाव से सज्जित हुआ और भवितव्यता उसे पूर्व के बदले पश्चिम दिशा मे घसीट ले गई । यह पाँचो कारगो की सुभग फलदायकता का कितना सुन्दर उदाहरण है ।
कोलवस के उदाहरण से यह सिद्ध होता है कि सशोधन के लिए शुभ निष्ठा से प्रयास करने वाले पुरुषार्थी लोग अन्य चार कारणो की अपेक्षाओ के अधीन रह कर कुछ न कुछ प्राप्त तो अवश्य ही करते है । हिन्दुस्तान नही तो अमेरिका । कोयला ढूंढते ढूंढते कभी हीरा मिल जाने की भी संभावना तो है ही ।
मानव की जिज्ञासा - वृत्ति भी कितनी अद्भुत है । कुछ है, या होना चाहिए यह मान कर वह पुरुषार्थ करता है, कोई एक वस्तु नही है, ऐसा मानकर 'वह ऐसा नही ही है' यह सिद्ध करने के लिए भी वह पुरुषार्थ करता है ।
विज्ञान (Science) के सभी विद्यार्थी यह बात जानते है । वे 'नही है' ऐसा मान कर अपनी प्रयोगशाला मे कुछ