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भी अपने ढग से दुनियों के उच्च कोटि के उपकारक है। हाँ, मानव-सहार के साधनो का आविष्कार करने वाले पुरुपो के प्रति हम उपकारक-भाव से नही देख सकते । बीसवी सदी मे कहिये, या सर्वकाल के लिए कहिये, वैज्ञानिक सशोधन मानव की बुद्धिशक्ति के इतिहास मे देदीप्यमान नक्षत्रो के समान है,
और इस वात से इनकार नही किया जा सकता। खेद मात्र इतना ही है कि मनुष्य की बुद्धि क्षणिक और नाशवान् सुख की खोज करने के बदले परम और शाश्वत सुख की खोज मे लगी होती तो मानव-समाज के अस्तित्व के लिए भय उपस्थित करने वाले भयानक साधनो के वदले परम-आनन्द प्रमोदकारक दिव्य साधनो से यह दुनिया सुशोभित होती। ___ वैज्ञानिको की गोधपद्धति के विषय मे जानकारी प्राप्त करना वडा मनोरजक होगा । सामान्यतया दो प्रकार की धाररणाएँ । ( Assumption ) बना कर काम का प्रारभ किया ___ा है। एक धारणा, 'अमुक वस्तु ऐसी है' ऐसा मान कर
और दूसरी धारणा, 'यह वस्तु ऐसी नही है' ऐसा मान कर की जाती है।
इस मे एक मनोरजक बात तो यह है कि कई बाते 'है' ऐसी श्रद्धा मे से नहीं, बल्कि 'नही है' ऐसी अश्रद्धा मे से प्रकट हुई है। 'नही है' यह सिद्ध करने के प्रयत्न मे 'है' ऐसा सिद्ध हो गया है । 'नही है' ऐसा मान कर बैठ रहने के बदले 'नही ही है' ऐसा सिद्ध करने के प्रयत्न करने मे यह है ऐसा निश्चित हो गया है।
सन् १४९२ ई० मे कोलम्बस ने अमेरिका महाद्वीप खोज निकाला, पर वह हिन्दुस्तान पहुँचने के जल मार्ग की