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हम दूसरी ओर नजर करते हैं तब हमे सभी चीजे अपनीअपनी जगह पर स्थिर खडी हुई दिखाई पड़ती है। उस समय हमे विश्वास होता है कि जिस गाडी मे हम वैठे हुए है वह चलती नही लेकिन पास मे जो गाडी खडी थी वह आगे बढ़ गई है। ठीक ऐसा ही अनुभव तुम्हे भी हुया होगा ?"
"लेकिन यह सब तो आभास मात्र ही है, वास्तव नहीं" उसने जवाब दिया। ___ "बाद मे कही हमे इस बात का ज्ञान होता है कि यह आभास मात्र है । क्या तुम यह विश्वास के साथ कह सकते हो कि विज्ञान द्वारा हमे जो कुछ वताया गया है, सब तथ्य है, और उसमे आभास बिलकुल नही ?" मैने पूछा।
यह भला हम कैसे कह सकते है ? अतीत मे जो कुछ भो खोज कार्य हुए है और उस समय जो हमे सत्य प्रतीत होता था वही कालान्तर मे आज झूठा और निष्फल सावित हो चुका है। इसके अतिरिक्त जिन्हे असभव और कोरी कल्पना मान समझा जाता था ऐसी बहुत-सी बाते आज सभव सिद्ध हो चुकी है । आज भी ये सशोधन एव अन्वेषण-कार्य जारी हैं। लेकिन जो गलत था उसे बुद्धि पूर्वक तथा प्रयोगात्मक प्रमाण द्वारा गलत सावित किया गया है । आज जो कुछ भी नये सगोधन या आविष्कार हुए है वे सभी बुद्धि एव प्रयोग के ही फलस्वरूप है" उसने प्रत्युत्तर मे कहा।