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१८ इनके सिवा नय के और भी अनेक विभाग है। उसके सैकडो भेद है । जितने प्रकार के वचन अथवा वचन के अभिप्राय हैं उतने प्रकार के नय है। उसके प्रयोग भी अपार है । सिर्फ इतनी सावधानी रखना आवश्यक है कि 'हम सुनय से चिपके रहे और दुर्नय या नयाभास पर न उतर जायें ।' ____ जव किसी भी प्रश्न, व्यक्ति, वस्तु, पदार्थ या समस्या के विषय मे विचारपूर्वक निर्णय करने का प्रसग उपस्थित हो तव इतना अवश्य याद रखना चाहिए कि जैसा पहली नजर मे दिखाई देता है या मालूम होता है वैसा ही वह होता नही है । हरएक के अनेक पहलू होते है। इन सब भिन्न भिन्न पहलुनो को ध्यान में रखने से ही वस्तु का निश्चित स्वरूप जाना जा सकता है। इस प्रकार विचार करने से ही किसी भी प्रश्न का योग्य निर्णय हो सकता है । भिन्न भिन्न दृष्टि से प्रत्येक वस्तु को देखने की आदत डालने से हमे बहुत सी नईनई और कल्याणकारी जानकारी प्राप्त होती है। यह बात भलीभांति याद रखनी चाहिए।
शायद कोई ऐसा प्रश्न पूछेगा कि जीवन में ऐसी बहुत सी वाते उपस्थित होती है जिनका निर्णय बडी तेजी से करना पडता है । फिर हम आज तेजी के जमाने ( Speed-Era ) मे जी रहे है । उस समय ऐसे सव स्थूल या सूक्ष्म विचार करने वैठे तो 'गाडी निकल जाय' 1 ऐसे प्रसगो मे क्या किया जाय ?
इसका उत्तर यह है कि यदि हम नय दृष्टि से और स्याद्वाद पद्धति से सोचने का अभ्यास रखेंगे तो आवश्यकता पडने पर जल्दी से निर्णय करने मे हमे कोई कठिनाई नहीं होगी 1 अकगणित के पहाडे एक वार हम रट लेते हैं, उसके