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नेमिनाथ स्वामी के जिनबिम्ब की पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के 125 वें वर्ष की जानकारी दी और पुन: साग्रह अनुरोध किया कि 'हे मुनिराज! हम सभी यह आयोजन आपकी सन्निधि और आपके मार्गदर्शन में ही करना चाहते हैं।' पूज्य मुनि श्री यह सुनकर प्रसन्न हुये। उन्होंने अन्य जानकारियाँ चाहीं जो मैंने उन्हें वहीं प्रदान की।
सतना समाज का पुण्य प्रतिफलित हुआ और 2 जुलाई 04 को प्रात: मंगलबेला में पूज्य मुनिश्री का नगर प्रवेश अत्यन्त धूमधाम से हुआ। 04 जुलाई को मध्याह्न में चातुर्मास स्थापना का कार्यक्रम था। दूर-दूर से श्रद्धालुओं की भीड उमड़ पड़ी। सतना के नागरिक तो न जाने कब से इस शुभ घड़ी की मानो प्रतीक्षा ही कर रहे थे । पहिले दिन से ही पूज्य मुनि श्री ने जिनालय स्थापना और मूलनायक तीर्थंकर श्री 1008 नेमिनाथ स्वामी जिनबिम्ब प्रतिष्ठापना के 125 वें वर्ष समारोह में अपनी रुचि प्रदर्शित की और अपना मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने इसे 'नेमिनाथ महोत्सव' का नाम देकर इस आयोजन को एक विराट स्वरूप प्रदान किया। चातुर्मास मे होने वाले सभी आयोजन नेमिनाथ महोत्सव' के अंग माने गये। यह मेरा सौभाग्य था कि मुझे 'नेमिनाथ महोत्सव' और सर्वोदय विद्वत् संगोष्ठी' के सयोजन का भार सौंपा गया । देवाधिदेव श्री 1008 नेमिनाथ प्रभु के चरणों की कृपा, परम पूज्य श्री 108 प्रमाणसागर जी महाराज का आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन, आo बाल ब्रह्मचारी श्री अशोक भैया जी का निर्देशन तथा सकल दिगम्बर जैन समाज के सक्रिय सहयोग के परिणाम स्वरूप समस्त कार्यक्रम आशातीत ढंग से सुसम्पन्न हुए । आ0 श्री अशोक भैया जी के कुशल निर्देशन का ही यह प्रभाव था कि नेमिनाथ महोत्सव जनमानस की स्मृतियों में सदा के लिये अंकित हो गया है । नेमिनाथ महोत्सव की संयोजन समिति में मुझे श्री प्रमोद जैन (अरिहन्त गारमेन्ट्स) तथा श्री संदीप जैन (अवन्ती फार्मा) का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ, जिसके लिये मैं उनके प्रति आभारी हूँ। इस आयोजन हेतु गठित विभिन्न उपसमितियों के माध्यम से अनेकों भाई-बहिनों ने पूर्ण समर्पण भाव से सक्रिय रहकर महोत्सव को सफल बनाया, उन सभी के प्रति भी मैं आभार व्यक्त करता है । जैन नवयुवक मंडल, जैन महिला क्लब, जैन बालिका क्लब और श्री महावीर दिगम्बर जैन उ0 मा0 विद्यालय के शिक्षक बन्धुओं सहित नन्हें-मुन्ने बालक-बालिकाओं ने भी अपना जो अंशदान दिया उसके लिये मेरा हृदय गद्गद् है। शब्दों के माध्यम से उनके प्रति आभार व्यक्त करना संभव नहीं। सर्वोदय विद्वत् संगोष्ठी के सुसंचालन हेतु प्रारम्भ से ही भाई श्री सिद्धार्थकुमार जी का सहयोग प्राप्त होता रहा। उनके प्रति आभार व्यक्त करके मैं अपने प्राप्तव्य को कम नहीं करना चाहता।
आवास व्यवस्था को चि. अनाग और चि. वर्द्धमान ने जिस तरह से संभाला उसकी आगत सभी अतिथि विद्वानों ने भूरि-भूरि सराहना की। इनके साथ-साथ व्रती-त्यागी व्यवस्था, भोजन व्यवस्था, स्वागत व्यवस्था, मंच व्यवस्था तथा विद्वान सम्मान एवं विदाई व्यवस्था में जिन-जिन महानुभावों ने अपना सहयोग प्रदान किया है उन सभी के प्रति आभार प्रकट करना मेरा कर्तव्य है।
नेमिनाथ महोत्सव सहित सर्वोदय विद्वत संगोष्ठी में पधारे सभी श्रेष्ठि जनों, विद्वानों, श्रद्धालु साधर्मी भाई-बहिनों के प्रति भी मैं श्रद्धानत हूँ।
- संगोष्ठी के शुभारम्भ हेतु मुख्य अतिथि के रूप में सम्माननीय श्री डॉ. ए. डी. एन. वाजपेयी, कुलपति कप्तान अवधेशप्रतापसिंह विश्वविद्यालय, रीवा तथा समापन सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में श्री डॉ. राममूर्ति त्रिपाठी, विक्रम