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371/वार्था-निका
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समय के अमर शिलालेख
1. जैन मन्दिर का निर्माण सन् 1880 में हुआ। 2. 15 फरवरी को नारायणताल के मैदान में पाँच रथ एक साथ निकले थे। पं. पन्नालाल जैन प्रतिष्ठाचार्य थे। 3. जैन पाठशाला सन् 1920 में प्रारम्भ हुई। 4. जैन औषधालय की स्थापना सन् 1920 में हुई। सेठ धरमदास भगवानदास (नन्हूमल) ने स्थापित करावा । 5. बैरिस्टर बाबू चम्पतराय जैन का सन् 1928 मे सतना आगमन हुआ। 6. सन् 1933 में सेठ दिगनलाल ने सार्वजनिक उपयोग के लिये जैन धर्मशाला का निर्माण कराया। तत्कालीन महाराजा
रीवा इसके उद्घाटन के लिये पधारे थे। 7. फाल्गुन शुक्ल 13 सन् 1953 को पूज्य क्षुल्लक 105 गणेशप्रसाद जी वर्णी का शुभागमन हुआ। 8. सन 1974 मे भगवान महावीर का 2500 वॉ निर्वाणोत्सव वर्ष मनाया। 13-11-74 से 03-11-75 तक 1 22 मार्च 75 ____ को धर्मचक्र का नगर प्रवेश द्विदिवसीय कार्यक्रम के रूप में हुआ। 9. सन् 1975 मे परम पूज्य मुनिराज 108 आर्यनन्दि जी महाराज का चातुर्मास सतना नगर में हुआ। आपका शुभागमन
25-06-75 को हुआ। पूज्य आर्यनन्दि जी महाराज के सान्निध्य में 16-7-75 से 27-7-75 तक सिद्धचक्र विधान का भव्य आयोजन हुआ तथा हवाई अड्डा के मैदान में 7-12-75 से 13-12-75 तक पंचकल्याणक प्रतिष्ठा श्री पं. शिखरचन्द जी भिण्ड के प्रतिष्ठाचार्यत्व में सम्पन्न हुई।
मनोरनार गजरथ महोत्सव में पधारे त्यागी, व्रती एव विशिष्ट महानुभाव-श्री 105 शु.
मोद जी वर्णी, क्षु.गुणभद्रसागर जी, क्ष. पपसागर जी महाराज, पं. जगन्मोहनलाल जी शास्त्री कटनी, पं. पन्नालाल जी साहित्याचार्य सागर, न. माणिकचन्द चंवरे कारंजा, ब्र. दयासिन्धु जी द्रोणगिरि, प. राजकुमार जी भिण्ड, पं. चिन्तामणि मी जालना, पं. अजितकुमार झासी, प. दयाचन्द जी मथुरा, पं. पन्नालाल जी कलकत्ता, पं. मुन्नालाल जी समगोरिया सागर, प. सुखनन्दन जी बड़ौत, पं. शिखरचन्द जी ईसरी, प. प्रकाश हितैषी दिल्ली, पं. प्रेमचन्द दमोह, पं. विनयकुमार पथिक मथुरा, डॉ. सुशीलचन्द जी दिवाकर जबलपुर, श्री ताराचन्द जी प्रेमी फिरोजपुर, पं. गरीबदास जी कटनी, सेठ चन्दूलाल कस्तूरचन्द शाह मुम्बई, सेठ लालचन्द हीराचन्द मुम्बई, श्री जयन्तीलाल लल्लूभाई पारेख मुम्बई, श्री दशरथ जी विधायक छतरपुर, श्री रतनचन्द खुशालचन्द गाँधी फलटण, श्री राजमल मडवैया विदिया, सिं.
ताराचन्द मिर्जापुर आदि। 10. सन् 1976 में परम पूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज का दिनॉक 19-3-76 को शुभागमन हुआ। संघ
में क्षु. पूज्य योगसागर जी, नियमसागर जी, समयसागर जी एवं प्रवचनसागर जी थे। दिनांक 27-3-76 को रीवा
के लिये विहार हुआ। 1. वर्ष 1980 में श्री दयाचन्द्र सरस्वती भवन का निर्माण सम्पन्न हबा।