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________________ ' AS PER TOTraineratima ratis, He Ka FREETTE . Hos. ताजावान मल्य arrifier PRATEENERAHARASHTR A Test MEET THI - , - RE ! 7 th AT 15 ..] : रेन्दमारबन भारती MER आचार्य उमास्वामी विचित तत्वार्थसूत्र एक ऐसी कालजयी कृति है, जिसमें समाज, राष्ट्र एवं विश्व की हित निहित है। यह मार्ग बताती है, उस पर चलना सिखाती है और लक्ष्य तक पहुँचाती है। प्रायः कृतियों में यह कम ही देखने को मिलता है। सूत्र के विषय में कहा गया है कि .. . .rint pariya अल्पावरमसादग्ध सारवद्गतामणयम् । ... निदापोतमत्ततत्व, मनमित्यज्यते ॥... - अर्थात् जिसमें अल्प अक्षर हों, जो असंदिग्ध हों, जिसमें सार अर्थात् निचोड़ भर दिया गया हो, जिसमें रहस्य भरा हो, जो निर्दोष हो, सयुक्तिक हो और तथ्यभूत हो, उसे सूत्र कहते हैं। इस प्रकार यह तत्त्वार्थसूत्र ग्रन्थ अपने सूत्र स्वभाव के कारण भी जीवन के लिए उपयोगी है, क्योंकि असंदिग्ध, सारभूत, रहस्यमय, निर्दोष, सयुक्तिक, तथ्यभूत जीवन ही तो सब जीना चाहते हैं अब यह अलग बात है कि वे ऐसा जीवन जी पाय या नहीं, क्योंकि पूर्वकृत कमी के परिणाम और परिस्थितियों की अनुकूलता प्रतिकूलता भी इसमें सहायक और निमित्त बनती है। ''जीवनमूल्यों पर विचार करें, इसके पूर्व यह जानना जरुरी है कि “जीवनमूल्य' किसे कहते है ! भारतीय संस्कृति में मनुष्य को अहम् स्थान प्राप्त है ताकि वह प्राणी मात्र के हितों का अनुरक्षण कर सके। मनुष्य में जिज्ञासा भी है और जिजीविषा भी, जागृति भी है और जीवन जीने की कला का ज्ञान करने की क्षमता भी । जब वह स्वार्थ के वशीभूत होता है तब भी उनके मन में परिवार एवं समाज के पोषण का भाव उद्दीप्त रहता है। यही उसका विवेक है जिसने उसे सही मनुष्य के रूप में प्रतिष्ठित किया, उसके जीवन को मल्यवान बनायो । मनष्य मलतः 'नैतिकप्राणी है क्योंकि वह स्वयं का विकास चाहता है । वह दूसरों के विकास को अवरुद्ध नहीं करता क्योंकि वह सामाजिक कहलाना पसन्द करता है। वह विचारशील प्राणी है अत: स्वयं को और दूसरों को जीवन जीने के लिए मूल्य निर्धारित करता है। मनुष्य को गरिमा मूल्यों से प्राप्त होती है, उन मूल्यों से जिनके लिए वह संघर्ष करता है, जिनके लिए वह जीता है। :. * जिसका कुछ भूल हो उसे मूल्य कहते हैं। भूल' अर्थात् जड़ अर्थात् जिसका अस्तित्व है वह मूल्य है। भारतीय परम्परा में 'मूल्य के समानार्थी मान', 'मानदण्ड', 'प्रतिमान', 'मान्यताएं आदि शब्द प्रचलित है। आज मूल्य को अंग्रेजी के Value (वेल्यू) के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिसे वैश्विक स्वीकृति प्राप्त है । Value शब्द लेटिन भाषा के Valere (वलेरे) से बना है जिसका अर्थ अच्छा, सुन्दर होता है। इसे To Be strong अर्थात् ताकतवर होने के अर्थ में भी प्रयुक्त किया जाता है । ओल्ड फ्रेंच भाषा में इसके लिए Valoir (वलवार) शब्द मिलता है जिससे वेल्यू" Valve बना। यह Vaoir शब्द Worth बर्थ अर्थात् लायक योग्य के अर्थ का सूचक है। यहाँ प्रश्न उठता है कि आदमी की Varile वेल्यू, मूल्य * एल-65, न्यू इन्दिरानगर, ए, बुरहानपुर -
SR No.010142
Book TitleTattvartha Sutra Nikash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRakesh Jain, Nihalchand Jain
PublisherSakal Digambar Jain Sangh Satna
Publication Year5005
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size20 MB
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