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जैनदर्शन में अजीव द्रव्यों की वैज्ञानिकता
* प्राचार्य (पं.) निहालचन्द्र जैन
जैनदर्शन और विज्ञान, दोनों का लक्ष्य सत्य का अन्वेषण है। जहाँ जैनदर्शन में आत्म अनुभूति से सत्य को जानने की एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, वहाँ विज्ञान, भौतिक पदार्थों के सम्बन्ध में प्रयोगों के आधार पर सत्य के निकट पहुँचने का दावा है । यहाँ जैनदर्शन में वर्णित पाँच अजीव द्रव्यों की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि पर तुलनात्मक दृष्टि से जैनाचार्यों द्वारा प्रतिपादित व्यास्याओं को समझना है।
उमास्वामी देव ने तत्त्वार्थसूत्र के अध्याय 5 में इसका विशद विवेचन किया है। इनमें 4 द्रव्यधर्म, अधर्म, आकाश और पुद्गल अजीवकाय है। 'काय' से तात्पर्य बहुप्रदेशी होने से है। काल भी अजीव द्रव्य है परन्तु वह कायवान नहीं है। धर्म और अधर्म द्रव्य असंख्यात प्रदेशी, एवं आकाश अनन्तप्रदेशी एक, एक द्रव्य हैं । पुद्गल - संख्यात असंख्यात और अनन्तप्रदेशी होते हैं। धर्म, अधर्म, आकाश और काल - चारों अमूर्तिक और निष्क्रिय द्रव्य हैं। जबकि पुद्गल मूर्तिक रूपी द्रव्य है। रूपी कहने से उसमें स्पर्श, रस, गन्ध और वर्ण चारों गुण अविनाभावी रूप से विद्यमान हो जाते हैं।
1. पुनक- 'पुद्गल' जैनदर्शन का पारिभाषिक शब्द है। विज्ञान शब्दावलि में इसे पदार्थ या मेटर (Matter) कहा जाता है। ऊर्जा, शब्द, बन्ध, सूक्ष्मत्व, स्थूलत्व, संस्थान, (आकार) अन्धकार, छाया, आतप और उद्योत, पुद्गल की पर्यायें विशेष हैं। 'पुद्गल' शब्द की व्युत्पत्ति इस प्रकार तत्त्वार्थ राजवार्तिक में की गयी है 'पूरणाद् गलनाद् पुद्गल इति संज्ञा' पूरणात्
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- 'पुत्' और गलपतीति - 'गल' मिलकर पुद्गल बना। पूरण- पानी संयुक्त होना, (Fusion ) और गलन यानी वियुक्त होना Pission | जिस द्रव्य में संयोजन और वियोजन की क्षमता होती है, वह पुद्गल कहलाता है। आधुनिक विज्ञान में रेडियो एक्टिवता (Radio activity) घटना में OB X आदि विकरणों के द्वारा उत्सर्जन या अवशोषण की क्रियाएँ होना, पूरण और गलन के सटीक उदाहरण हैं।
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पुद्गल (Mater) के दो भेद होते हैं- 1. परमाणु और 2. स्कन्ध। पुद्गल का अविभाज्य अंश परमाणु है। भगवतीसूत्र में उसे अविभाज्य (Indivisible) अमेच (Impenetrable) अदाहा (Incumbastible) और अग्राहा (Impercetible) कहा गया है। कार्यवार्तिक में परमाणु की व्याख्या इस प्रकार की गयी है परमाणु की लम्बाई चौडाई नहीं होती न उसका भार होता है। इसका आदि, अन्त और मध्य एक ही होता है। आधुनिक विज्ञान में का परमाणु ब्यास 10% Cm (एक सेमी का दस
?. Science is a series of opproximaturis of the truth at no stage do we claim to have reached finality any theory is liable to revision in the light of new fact. Cosmology : Old & New Dr. G. R. Jain,
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