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________________ 3. आरसेमिक (As) आयोडीन (1) 4. बोरोन (B) हाइड्रोजन (H) 5. ऑक्सीजन (O) ऑक्सीजन (O) ऑक्सीजन (O) 2. क्लोरीन (CI) 4.0 फ्लोरीन (F) 3.0 3.5 3.5 "न जघन्य गुणानाम् "" इस सूत्र के माध्यम से आचार्य उमास्वामी स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि जघन्य गुण वालों का बंध नहीं होता । रसायन विज्ञान में भी ऐसे परमाणु परस्पर वैद्युत संयोजी बंध द्वारा स्कंध निर्माण नहीं करते जिनकी वैद्युत ऋणात्मकता में मात्र एक का अंतर होता है। परमाणु वैद्युतऋणात्मकता वै. ऋणा. का अंतर वै. संयोजी बंध द्वारा स्कंधोत्पत्ति 1. कार्बन (C) ol नहीं होता 3. फॉस्फोरस (P) क्लोरीन (Cl) 4. नाइट्रोजन (N) 5. बोरोन 2.5 3.5 3.0 फ्लोरीन (F) 4.0 क्लोरीन 2.1 3.0 6. कॉपर 2.2 2.2 (B) 2.0 (CI) 3.0 (Cu) 1.8 क्लोरीन (CI) 3.0 2.0 2.1 01 0.9 ot नहीं होती 01 नहीं होती नहीं होती 1.2 नहीं होता नहीं होता नहीं होता - 95 नहीं होता नहीं होता "इधिकादिगुणानाम् तु" read उमास्वामी इस सूत्र के माध्यम से आगे और स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि दो अधिक गुण वालों का परस्पर बंध होता है अर्थात् जिनमें स्निग्ध अथवा रूक्ष गुणों की संख्या में दो का अंतर होता है वे परस्पर बंध निर्माण करने में सक्षम होते हैं। रसायन विज्ञान में भी वैद्युत संयोजी बंध द्वारा स्कंधोत्पत्ति के लिये आवश्यक है कि बंध निर्माण में भाग रहे परमाणुओं की वैद्युत ऋणात्मकताओं में दो का अंतर हो या दो से अधिक का अंतर हो । १. तत्वार्थ सूत्र (5/34), २. वही, (5/36)
SR No.010142
Book TitleTattvartha Sutra Nikash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRakesh Jain, Nihalchand Jain
PublisherSakal Digambar Jain Sangh Satna
Publication Year5005
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size20 MB
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