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________________ तपासून 195 3. कोशिका अनुक्रियाओं का इन्तमीकरण (Optimisation of Cel resposes) किसी भी जीव की कोशिकायें कोई कार्य कुछ विशेष परिस्थितियों में ही कर सकती हैं जो कि उनके जीन प्रारूप (Genotype) पर निर्भर होता है अतः किसी यौगिक के अधिक उत्पादन के लिये आवश्यक वातावरण का होना अनिवार्य है जिसमें कि अधिकतम उत्पादन हो सके 1. J 4. प्रक्रम संक्रियाएँ एवं उत्पाद प्राप्ति (Process operation & Recovery of products): जैव प्रौद्योगिकी उत्पाद सम्बन्धित प्रयोग प्रयोगशाला में किये जाते हैं व इस प्रक्रिया में प्रयुक्त उपकरण व संक्रियाएँ वृहद पैमाने पर उत्पादन प्राप्ति से अलग होते हैं। वृहद पैमाने पर उपयोग किये जाने वाले उपकरण व प्रक्रियाओं का दक्ष, सुरक्षित व नियंत्रित होना आवश्यक है। बायोटेक्नालॉजी का क्षेत्र एवं महत्व - 1. जीन अभियांत्रिकी (Genetic Engineering) - अ. चिकित्सा क्षेत्र में अनेक चिकित्सीय उत्पादों जैसे मोनोक्लोनल प्रतिरक्षी, हार्मोन्सटीके, शिशुओं की विकृति, भ्रूण के लिंग, अवैध संतानों के माता-पिता व संदिग्ध अपराधियो का पता लगाया जा सकता है। यह विधि डी. एन. ए. फिंगर प्रिंटिंग कहलाती है। ब. कृषि उपयोगिताएँ - पौधों को खरपतवारों, कीटों, बाइरस, क्रवम संक्रमण के विरुद्ध प्रतिरोधी बनाया जाता है। पौधों में नाइट्रोजन स्थरीकरण क्षमता का विकास किया जाता है। स. पशु उपयोगिताएँ - पशुओं में जीन्स निवेशित करवाकर उनके दुग्ध उत्पादन, ऊन उत्पादन वृद्धिदर, रोगरोधिता आदि क्षमताओं में वृद्धि की गई है। द. पर्यावरणीय उपयोगिताएँ - स्यूडोमोनास प्यूटिडा के विभिन्न प्रभेदों से सुपरवग तैयार किया गया है। यह उत्पाद पेट्रोलिका उत्पाद के निम्नीकरण व औद्योगिक इकाइयों के बहिस्त्राण में उपस्थित पदार्थो के निम्नीकरण में उपयोगी है। इ. औद्योगिक उपयोगिताएं अनेक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक उत्पाद जैसे ग्लाइकॉल, एल्कोहाल, एथीलीन आदि तैयार किये गये हैं। इन उत्पादों का काफी औद्योगिकी महत्त्व है। जीन अवधारणा : बायोटेक्नालॉजी को समझने के लिये न्यूक्लिक अम्ल एवं जीन्स के बारे में जानकारी होना आवश्यक है । मनुष्यों एवं जीव-जन्तुओं का शरीर अत्यन्त सूक्ष्म कोशिकाओं का बना होता है। इन कोशिकाओं में नामिक (न्यूक्लियस) होता है। नामिक के अन्दर गुणसूत्र (क्रोमोसोम्स) होते हैं। जिनमें कि न्यूक्लिक अम्ल होता है। ये अम्ल दो प्रकार के होते हैं : 1. डिआक्सीराइवो न्यूक्लिक अम्ल (डी एन ए) 2. राइवोन्यूक्लिक अम्ल (आर एन ए) डी एस ए एक टिक कुण्डलीय (Double belical) संरचना जो दो लड़ियों का बना होता है यह लड़िया एक अक्ष के चारों ओर सर्पिलाकार रूप से कुण्डलित रहती है। प्रत्येक लड़ी एक बहुन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला होती है। प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड में नाइट्रोजन युक्त क्षार, डिऑक्सीराइवोज शर्करा तथा फास्फोरिक अम्ल का एक 2 अणु होता है। पूर्व उपस्थित डी एम
SR No.010142
Book TitleTattvartha Sutra Nikash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRakesh Jain, Nihalchand Jain
PublisherSakal Digambar Jain Sangh Satna
Publication Year5005
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size20 MB
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