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________________ ऐन पूजा पाठ मेट सोलहकारण पूजा अडिल - सोलहकारण भाय तीर्थंकर जे भये । हरपे इन्द्र अपार मेरुपे ले गये ॥ पूजा करि निज धन्य लख्यो बहु चावसौं । हम कृ षोड़श कारण भाव भावसौं ॥१॥ होट स्थापन ६५ केही दर्शविणारी धन नवीन कंचन भारी निरसल नीर. पूजों जिनवर गुण गंभीर । परम गुरु हो. जय जय नाथ परम गुरु हो ॥ दश विशुद्धि भावना भाय. सोलह तीर्थंकर पददाय । परम गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो ॥१॥ नया ॥ १ ॥ चंदन सों कपूर मिलाय, पूजों श्रीजिनवर के पाय । परम गुरु हो, जय जय नाथ परस गुरु हो | दरश ॥२॥ ॐ ही दर्शकापेयी ॥ २ ॥ तंदुल धवल सुगंध अनृप, पूज जिनवर तिहुँ जगभूप । परम गुरु हो. जय जय नाथ परम गुरु हो | दरश०||३|| हो दर्शनविदा पक्षप्तता ॥ ३ ॥
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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