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________________ कोडी प्रमाण रह गई हो वही सम्यग्दर्शन प्राप्त कर सकता है। इससे अधिक स्थितिबन्ध पडनेपर सम्यग्दर्शन प्राप्त नही हो सकता है। सम्यग्दर्शन प्राप्त करनेकी योग्यता चारो गतिवाले भव्यजीवोको होती है। क्षायोपशमिक, विशुद्धि, देशना, प्रायोग्य और करण ये पांच लब्धियां भव्यको प्राप्त होती हैं। इनमे चार लब्धियाँ तो सामान्य है, क्योकि वे भव्य और अभव्य दोनोको प्राप्त होती हैं, पर करणलब्धिविशेष है । यह भव्यको ही प्राप्त होती है और इसके प्राप्त होनेपर नियमत सम्यग्दर्शन होता है। क्षायोपशमिक लब्धिमे जीवके परिणाम उत्तरोत्तर निर्मल होते जाते हैं। विशुद्धिलब्धि प्रशस्त प्रकृतियोके बन्धमे कारणभूत परिणामोको प्राप्ति स्वरूप है। देशनालब्धिमे तत्त्वोपदेश और प्रायोग्यलब्धिमे अशुभकर्मोमेसे घातियाकर्मों के अनुभागको लता और दारूरूप तथा अघातिया कर्मों के अनुभागको नीम और काजीरूप कर देना है। करणलब्धिमे भावोको उत्तरोत्तर विशुद्धि प्राप्त की जाती है। भाव तीन प्रकारके होते हैं -(१) अध.करण, (२) अपूर्वकरण और (३) अनिवृत्तिकरण | जिसमे आगमो समयमे रहनेवाले जीवोके परिणाम समान और असमान दोनो प्रकारके होते हैं वह अघ करण है। इस कोटिके परिणामोमे समानता पायी जाती है तथा नाना जीवोकी अपेक्षा समानता और असमानता दोनो ही घटित होती है। जिसमे प्रत्येक समय अपूर्व-अपूर्व-नये-नये परिणाम उत्पन्न हो, उसे अपूर्वकरण कहते हैं। अपूर्वकरणमे समसमयवर्ती जीवोके परिणाम समान एव असमान दोनो ही प्रकारके होते हैं। परन्तु भिन्नसमयवर्ती जीवोंके परिणाम असमान ही होते हैं । अपूर्वकरणका काल अन्तर्मुहूर्त है और उत्तरोत्तर वृद्धिको प्राप्त होता है। जहाँ एक समयमे एक ही परिणाम उत्पन्न होता है उसे अनिवृत्तिकरण कहते हैं। इस करणमे समसमयवर्ती जीवोंके परिणाम समान ही होते हैं और विषमसमयवर्ती जीवोके परिणाम विषम ही होते है। इसका कारण यह है कि यहां एक समयमे एक ही परिणाम होता है । इसलिये उसे समयमे जितने जीव होंगे उन सबके परिणाम समान ही होगे और भिन्न समयोमे जो जीव होगे, उनके परिणाम भिन्न ही होगे । इसका काल भी अन्तर्मुहूर्त है पर अपूर्वकरणकी अपेक्षा कम है। १ गोम्मट्टसार जीवकाण्ड, गाथा ६५१, ६५२. २. , , गाथा ५१,५२,५३, ४९, ५०. ४९४ तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य-परम्परा
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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