________________ श्री शांतिनाथ जिन पूजा ( कवि श्री रामचन्द्रजी कृत) अडिल्ल शान्ति जिनेश्वर नमूं तीर्थ वस दुगुण ही, पचमचक्री मनग दुविध षट् सगुण ही। तृणवत रिधि सब छारि धारि तप शिव वरी, जाह्वानन विधि करू वारत्रय उच्चरी // 2 // ॐ हौं श्री शान्तिनाथ जिनेन्द्र / अत्र अवतर अवतर सवौषट् / ॐ ह्रीं श्री शान्तिनाथ जिनेन्द्र / अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ ठ स्थापन / ॐ ह्रीं श्री शान्तिनाथ जिनेन्द्र ! मन मम सन्निहितो भव भव वपट् / नाराच छन्द शैल हेमतें पतत जापिका सुन्यौमहो। रत्नभृन्गधारि नोर सोत अग सो मही / रोग सोग माधि व्याधि पूजते नसाय हैं। अनत सौख्यसार शांतिनाथ सेय पाय है // 2 // ॐ हीं थी शान्तिनाजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जल निक चदनादि कुकमादि गधसार ल्यावही भृग वद गजत समोर सग ध्यावही / / रोग सोग० / / 2 / / ॐ ह्रीं श्री शान्तिनाथ जिनेन्द्राय ममारतापविनाशनाय चन्दन निर्व इदु कुद हारतें अपार स्वेत साल ही। दुति खडकार पुज धारिये विशाल ही / / रोग सोग० / / 3 / / ॐ ह्रीं श्री शान्तिनाथ भगवज्जिनेन्द्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतान् / पचवरन पुष्पसार ल्याइये मनोग्य ही। स्वर्न थाल धारिये मनोज नास जोग्यही || रोग सोग० / / 4 / / ॐ ह्री श्री शान्तिनाथ भगवजिनेन्द्राय कामबाणविध्वसनाय पुष्प