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जैन पूजा पाठ सग्रह
वर सुहाल सुफेनिहिं मोदका, रसगुला रसपूरित ओदका । ज०
ॐ ह्रीं श्रीजिनमुखोद्भवद्वादशांगसारभूताय श्रीतत्वार्थ सूत्राय क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्य• ।
घृत कपूर मणीकर दीयरा, करि उद्योत हरौ तम हीयरा । ज०
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ॐ ह्रीं थी जिनमुखोद्भवद्वादशांगसारभूताय श्रीतत्वार्थ सूत्राय मोहान्धकारविनाशनाय दीपं •
हु सुगंधित धूप दशांगहीं, धरि हुताशन धूम उठावहीं। ज०
ॐ ह्रीं श्रीजिनमुखोद्भवद्वादशांगसारभूताय श्रीतत्वार्थसूत्राय अष्टकर्मदहनाय धूप• ।
क्रमुकदाख बदामअनारला, नरंग नीबूहिं आमहिं श्रीफला । ज०
ॐ ह्रीं श्रीजिनमुखोद्भवद्वादशांगसारभूताय श्रीतत्वार्थसूत्राय मोक्षफलप्राप्तये फल • ।
जल सुचंदन आदिक द्रव्य ले, अरघ के भरि थालहिंले भले | ज०
ॐ ह्रीं श्रीजिनमुखोद्भवद्वादशांगसारभूताय श्रीतत्वार्थसूत्राय अनर्घ्य पदप्राप्तये अर्ध
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सवैया
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विमल विमल वाणी, श्री जिनवर बखानी । सुन भये तत्वज्ञानी ध्यान आत्म पाया है ॥ सुरपति मनमानी, सुरगण सुखदानी |
सुभव्य उर आना, मिथ्यात्व हटाया है ॥ समझहिं सब नीके, जीव समवशरण के ।
निज-निज भाषा मांहि, अतिशय दिखानी है ॥ निरअक्षर अक्षर के, अक्षरन सों शब्द के ।
शब्द सों पद बने, जिन जु बखानी है ॥