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________________ जैन पूजा पाठ सग्रह वर सुहाल सुफेनिहिं मोदका, रसगुला रसपूरित ओदका । ज० ॐ ह्रीं श्रीजिनमुखोद्भवद्वादशांगसारभूताय श्रीतत्वार्थ सूत्राय क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्य• । घृत कपूर मणीकर दीयरा, करि उद्योत हरौ तम हीयरा । ज० ४१५ ॐ ह्रीं थी जिनमुखोद्भवद्वादशांगसारभूताय श्रीतत्वार्थ सूत्राय मोहान्धकारविनाशनाय दीपं • हु सुगंधित धूप दशांगहीं, धरि हुताशन धूम उठावहीं। ज० ॐ ह्रीं श्रीजिनमुखोद्भवद्वादशांगसारभूताय श्रीतत्वार्थसूत्राय अष्टकर्मदहनाय धूप• । क्रमुकदाख बदामअनारला, नरंग नीबूहिं आमहिं श्रीफला । ज० ॐ ह्रीं श्रीजिनमुखोद्भवद्वादशांगसारभूताय श्रीतत्वार्थसूत्राय मोक्षफलप्राप्तये फल • । जल सुचंदन आदिक द्रव्य ले, अरघ के भरि थालहिंले भले | ज० ॐ ह्रीं श्रीजिनमुखोद्भवद्वादशांगसारभूताय श्रीतत्वार्थसूत्राय अनर्घ्य पदप्राप्तये अर्ध · सवैया 1 विमल विमल वाणी, श्री जिनवर बखानी । सुन भये तत्वज्ञानी ध्यान आत्म पाया है ॥ सुरपति मनमानी, सुरगण सुखदानी | सुभव्य उर आना, मिथ्यात्व हटाया है ॥ समझहिं सब नीके, जीव समवशरण के । निज-निज भाषा मांहि, अतिशय दिखानी है ॥ निरअक्षर अक्षर के, अक्षरन सों शब्द के । शब्द सों पद बने, जिन जु बखानी है ॥
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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