________________
४०४
जैन पूजा पाठ सप्रह
अठाईरासा
प्राणी वरत अठाई जे करै, ते पावं भव पार || प्राणी० जम्बूद्वोप सुहावनो, लख योजन विस्तार | भरतक्षेत्र दक्षिण दिशा, पोदनपुर हित सार || प्राणी० विद्यापति विद्या धरी, सोमा रानी
राय । अधिकाय ॥ प्राणी०,
राजा गेह ।
अति नेह || प्राणी०
समकित श्रावक व्रत धरै, धर्म सुने चारण मुनि तहा, पारणे आये सोमा राणी आहार दे, पुण्य बढ़ो तिस समय नभ मे देवता, चले जात विमान । जय जय शब्द भयो, घनो मुनिवर पूछो ज्ञान || प्राणी० मुनिवर बोले राय सुनि, नन्दीश्वर सुर जात । जे नर करहि स्वभाव सो, ते होवे शिवकन्त ॥ प्राणी० यही वचन रानी सुने, मन मे भयो आनन्द । नन्दीश्वर पूजा करै, ध्यावै आदि जिनेन्द्र || प्राणी० कार्तिक फाल्गुन बाढ़ मे, पालौ बसु दिन बसु पूजा करै, तीन विद्यापति सुनि चालियो, रच्यो विमान रानी वरजै राय को, तुम तो मानुष भूप ॥ प्राणी०
अनूप |
मन वच देह |
भवान्तर लेह || प्राणी०