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________________ जैन पूजा पाठ संग्रह हास्यो । उजाखो || १० बतावें । कामदेव को किया भस्म जगत्राता थे ही। लीनी भस्म लपेट नॉम शम्भू निजदेही | सूतो होय अचेत विष्णु वनिताकरि तुमको काम न गहै आप घट सदा पापवान वा पुण्यवान सो देव तिनके औगुण कहै नाहिं तू गुणी निज सुभावतें अम्बुराशि निज महिमा तोक सरोवर कहे कहा उपमा बढ़ि जावै ॥ ११ ॥ कर्मन की थिति जन्तु अनेक करे दुःख कारी । सो थिति बहु परकार करे जीवन की ख्वारी ॥ भवसमुद्र के मांहि देव दोन्यों के साखी । नाविक नाव समान आप वाणी मैं भाखी ॥ १२ ॥ सुखकों तो दुःख कहै गुणनकूं दोष धर्मकरन के हेत पाप हिरदै बिच तेल निकासन काज धूलिकों पेलै तेरे मतसों वाह्य इसे जे जीव अज्ञानी ॥ १३ ॥ विष मोर्चे aantल रोगकौं हरै ततच्छन । मणि औषधी रसाण मन्त्र जो होय सुलच्छन ॥ ए सब तेरे नाम सुबुद्धी यों मन धरिहैं । भ्रमत अपर जन वृथा नहीं तुम सुमिरन करिहैं ॥१४॥ विचारै । धारै ॥ घानी । ३६६ कहावै ॥ पावै ।
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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