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संकट हरण विनती है दीपा श्रीपति परा निभान जी। पर मेरीमा नागेवार या लगी। टफ ।। मालिको दो सदान शिनात आप हो । एकोहुनर हमार. तुमरे पिा नदी॥
जान में गुनाह मुममे पन गया मn1 परी से मोर को पटार मारिच नात हे दीन० ॥१॥ दकिrnपमे शिनने गा मदी। सुगनि सदर कार में गुजा नहीं। गर मे. और पुराण में मानी । आनन बन्द नीजिनेन्द्र देव ६ नदीतीन० ॥२॥ हामी ६ पटी सानी थी सोना सी। गहा में प्राह गही गरी गती उग यार में पुकार विा का तुम्हें गती। भय तारार या पा पती ॥ हे दोन० ॥ ३ ॥ पायक प्रप पुरा में दम जय रहा। गीता मे शपप ने पो जय राम ने पहा ॥ गुमपान घरफ ज्ञानको पग धारती तहो। तत्काल ही मर ग्यम मा फमल लदला ॥ हे दीन० ॥ ४॥ साय पोरदापीपा दुगानन ने या गाा। नपरी ममा के लोग पाते थे इटा-सा उम पच, भौर पीर में तुमने फरी सदा । परदा दफा सती का मुयश जगत मे रहा । हे दीन०॥५॥