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जन पूजा पाठ सप्रह
तन्दुल उज्ज्वल अति धोय थारा में लाऊँ। तुम सन्मुख पक्ष चढाय अक्षय पद पाऊँ । चाँदन० ॐ ही श्री चाँदनपुर महावीर स्वामिने अक्षयपदप्राप्तये अक्षत० ॥ ३ ॥ वेला केतुकी गुलाब चम्पा कमल लऊँ। जे कामवाण करि नाश तुम्हरे चरण दऊँ | चाँदन० ॐ ही श्री चाँदनपुर महावीर स्वामिने कामवाणविध्वसनाय पुष्प ० ॥ ४ ॥ फैनी गुना अरु स्वार मोदक ले लीजे । करि क्षुधा रोग निरवार तुम सन्मुख कीजे ॥ चॉदन० ॐ ह्री श्री चाँदनपुर महावीर स्वामिने क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्य ० ॥ ५ ॥ घृत में कर्पूर मिलाय दीपक मे जारो। करि मोह तिमिर को दूर तुम सन्मुख बारो ॥ चॉदन० ॐ हो श्री चाँदनपुर महावीर स्वामिने मोहान्धकारविनाशनाय दीपं० ॥ ६ ॥ दश विधि ले धूप बनाय तामें तुम सन्मुख खेऊ आय आठों कर्मः जला || चाँदन० ॐ ही श्री चाँदनपुर, महावीर स्वामिने अष्टकर्मदहनाय धूप० ॥ ७ ॥ पिस्ता किसमिस बादाम 'श्रीफल लोग, सजा। श्री वर्धमान पद राख पाऊं मोक्ष पदा ॥ चॉदन० ॐ ह्री श्री चाँदनपुर महावीर स्वामिने मोक्षफलप्राप्तये फल० ॥ ८ ॥ जल गन्ध सु अक्षत पुष्प चरुवर जोर करों। ले दीप धप फल मेलि आगे अर्घ करों | चाँदन० ॐ ही श्री चाँदनपुर महावीर स्वामिने अनर्घपदप्राप्तये अर्घ० ॥ ६ ॥