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________________ जेन पूजा पाठ सग्रह अरहंत भासियन्थं गणहरवेहि गथियं सच । पणमामि भत्तिजुत्तो, सुदणाणमहोवयं सिरसा ॥२॥ अक्षर-मात्र-पठ-स्वर-हीन व्यजन-सन्धि-विवर्जित-रेफम् । साधुभिरत्र मम नमितन्यं को न चिमुह्यति शास्त्र-समुद्रे ॥३॥ दशाध्याये परिच्छिन्ने तत्त्वार्थ पटिते सति । फलं स्यादुपवासस्य भापितं मुनिपुगवै ॥ ४॥ तत्वार्थसूत्रकत्तारं गृद्धपिच्छोपलनितम् । वन्दे गणीन्द्रसजातमुमास्वामिमुनीश्वरम् ॥ ५ ॥ जं सक्कड तं कीरड जंपुण सक्कड तहेव सहहणं । सदहमाणो जीवो पावड अजरामरं ठाणं ॥ तवयरणं वयधरणं संजमसरणं च जीवढयाकरणम् । अते समाहिमरणं चउविहढुक्खं णिवारेड ।। ७ ॥ इति तत्त्वार्थसूत्रं समाप्तम्। चौवीम तीर्थकरोंके चिन्ह छप्पय । गऊपुत्र गजराज, बाज बानर मनमोहै । कोक कमल साथिया, सोम सफरीपति सोहै ।। सुरतरु गैड़ा महिप, कोल पुनि सेही जानौं । बज्र हिरन अज मीन, कलश कच्छप उर आनौं । शतपत्र शंख अहिराज हरि ऋपभदेव जिन आदिले। वर्द्धमानलौं जानिये, चिन्ह चारु चौवीस ये ।।
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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