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________________ * PRE: १८९ नाभिराज परमानन चेता, माता मरुदेवी गुण नेता। सोल पम पर मेरविण्याता, निस्पननायफ पुरा विधाता ॥५॥ गर्भपापक गुरपति कीघा, जगपल्याप मेरागिर सीधा । सरं प दीधाधारी, संघल पोघ मु त्रिभुवन पारी॥६॥ अर गुमार मिल दिपार, परम धन विस्तारण लय भा। गीतकार रदिन भए हाम, मनीय निरपम गुणधारी ॥७॥ जय आदि सुब्रह्मा, त्रिभुवन नामा ब्रह्मास्यात्म स्वरूप परं । जय बोध माना. पंच सुनाना, ब्रह्मा समति जलधिनिकरं ।। Rani ne: eEENA TRI सिरित। देवोऽनक भवार्जितो गत मला पापः प्रदीपा नलः । देवः सिद्ध वधु विशाल ददयालंकार हारोपमः ।। देयोऽष्टादश दोप सिन्दुर घटा दुभंद पश्चाननो। भव्यानां विदधातुवांछित फलं श्री आदिनाथो जिनः ।। श्लोक-लामीचन्द्रगुरुजीतो मृलसंघ विदाग्रणी। पट्टाभवचन्द्रो यो दयानन्दि विदांवरः ॥ रक्षकीर्ति कुमुदेन्दु सुमतिः सागरीदिनः । भक्तामर महास्तोत्र पूजा चक्रीगुणाधिका ।। Bf REETसा पिति भणार यो पक्ष FEIR I
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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