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श्री विष्णुकुमार महामुनि पूजा
अभिन्दा विष्णकुमार महामुनि को ऋद्धि भई । नाम दिग्विा तान सकल पानन्द ठई ।। सी मुनि · साये रथनापुर के बीच मे। मुनि बचाये खा कर वन बीच मे ॥ १ ॥ तहा भयो मानन्द सर्व जीवन धनो। जिगि चिन्तामणि रत एक पायो मनो ।। सब पुर जे जे कार भब्द उचरत भये ।
मुनि फी देव आहार आप फरते भये ॥ २॥
ifa f act तर दवतर सर्वान्ट मानिन । उहारिनिट ट स्थापन । D ire ci! RATARA म मय पर सविधीकर।
चाल सोलह कारण पूजा को. अथाष्टक । गलाजल सम उज्ज्वल नोर, पूजो विष्णुकुमार सुधीर । दयानिधि होय, जय जगवन्धु दयानिधि होय ।। सस सैकदा मुनिवर जान, रक्षा करी विष्णु भगवान । दयानिधि होग, जय जगवन्धु दयानिधि होय ।।
ही श्री बिरसार मुनिभ्यो कम उमराहत्यविनाशनाय त निपानाति रवाहा मलयागिर चन्दन शुभसार, पूजो श्रीगुरुवर निर्धार । दयानिधि होय, जय जगवन्धु दयानिधि होय ॥ सप्त० केही श्री विष्णुमार मुनिभ्यो नम भवजातापविनाशनाय चन्दन निर्वपामीति स्वाहा।