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________________ जैन पूजा पाठ सप्रह श्री सोनागिरि सिद्धक्षेत्र पूजा अडिल्ल छन्द । जम्बूद्वीप मझार स भरत क्षेत्र कहो। आर्य खण्ड सु जान भद्र देशे लहो । सुवर्णगिरि अभिराम सु पर्वत है तहां। पञ्चकोड़ि अरु अर्द्ध गये मुनि शिव तहां ॥१॥ दोहा-सोनागिरिके शीश पर, बहुत जिनालय जान। चन्द्रप्रभु जिन आदि दे, पूजों सब भगवान ॥ ही धी पोनागिरि सिद्धक्षेत्रेभ्यो । अन्न अवतर अवतर सवौषट् आहातन । ही श्री सानागिरि सिद्धक्षेत्रेभ्यो ! अन तिष्ठ तिष्ठ 3. 2' स्थापन । ॐ हो श्री मोनागिरि सिद्धक्षेत्रेभ्यो ! मन मम सन्निहितो भव भव वषट् । ___अथाष्टक, सारङ्ग छन्द ।। पदमबह को नीर ल्याय गंगा से भरके । कनक कटोरी मांहि हेम थारन में धरके ।। सोनागिरिक शीश भूमि निर्वाण सुहाई। पञ्चकोडि अरु अर्द्ध मुक्ति पहुंचे मुनिराई॥ चन्द्रप्रभु जिन आदि सकल जिनवर पद पूजो। स्वर्ग मुक्ति फल पाय जाय अविचल पद हो ।। दोहा -सोनागिरि के शीष पर, जेते सब जिनराज । तिनपद धारा तीन दे, तृषा हरण के काज ।। *ही श्री मोनागिरि निर्वाणयेने यो जन्मजरामृत्युविनाशनाय जल निवपार्माति स्वाहा ।।१० केसर आदि कपूर मिले मलयागिरि चन्दन । परिमल अधिकी तास और सब दाह निकन्दन ॥
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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