SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 157
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - - - बेन पूजा पाठ संप्रद १४१ तिनके नाम सु लेत ही पाप दूर हो जाय । ते सब पूजू अर्घ ले भव भव को सुखदाय ।। ॐ हो श्री भरत क्षेत्र सम्बन्धी सिद्धक्षेत्र और अतिशय क्षेत्रेभ्यो अर्घ ० । सोरठा। दीप अढ़ाई मांहि सिद्धक्षेत्र जे और हैं। पूज अर्घ चढ़ाय भव भव के अघ नाश हैं । अडिल्ल छन्द। पूजू तीस चौबीसी महासुख दाय जू । भूत भविष्यत् वर्तमान गुण गाय जू ॥ कहे विदेह के बोस नमू सिरनाय जू । और जू अर्घ बनाय सु विघन पलाय न । ॐ ही श्री तीस चौवीसी और भूत भविष्यत् वर्तमान जोर विदेह क्षेत्र के वीस जिनेश्वर अर्घ ०। दोहा-कृत्याकृत्यम जे कहे तीन लोक के मांहि । ते सब पूजू अर्घ ले हाथ जोर सिरनाय ।। ॐ ही श्री ऊर्ध्वलोक मध्यलोक पाताललोक सम्बन्धी जिन मन्दिर जिन चैत्यालयेभ्यो नम अर्ध । दोहा-तोरथ परम सुहावनो शिखर सम्मेद विशाल । कहत अल्प बुधि युक्ति से सुखदाई जयमाल ॥ ___ अथ जयमाला, छन्द पद्धडी। जय प्रथम नम जिन कुन्थ देव, जय धर्म तनी नित करत सेव । जय सुमति सुमति सुधबुद्धि देत, जय शान्ति नमूं नित शान्ति हेत ॥
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy