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________________ प्रत्येक अर्घ सोरठा। सकल कर्म हनि मोक्ष, परिवा सित बैशाख ही। जजौ चरण गुण धोख, गये सम्मेदाचल थकी ॥ १ ॥ ॐ हो श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र परवत सेती ज्ञानधर कूट के दरशन फल एक कोड़ उपवास और श्री कथुनाथ तीर्थकरादि छानवें कोडा कोडी छानवे कोड बत्तीस तास दानवे हजार सात से वैयालिस मुनि मुक्ति पधारे, अर्घ० ॥ १ ॥ दोहा-जेठ शुकल चउदस दिवस मोक्ष गये भगवान। जजौ मोक्ष जिनके चरण कर करि बहु गुणगान ।। ___ॐ ही श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र परवत सेती सुदतवर कूट के दरशन फल एक कोड उपवास श्री धरमनाथ तीर्थंकरादि गुणतोस कोडा कोडी उनीस कोड नौ लाख नौ हजार सात से पचानवे मुनि मुक्ति पधारे, अर्घ० ॥ २॥ चैत शुकल एकादशी शिवपुर में प्रभु जाय । लहि अनन्त सुख थिर भये आतमसू लवलाय ॥ ३ ॥ ॐ ही श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र परवत सेती अविचल कूट के दरशन फल एक कोड़ि उपवास और श्री सुमतनाथ तीर्थकरादि एक कोडाकोडी चौरासी कोड़ बहत्तर ताख इक्यासी हजार सातस मुनि मुक्ति पधारे, अर्घ० ॥ ३ ॥ जेठ शुकल चउदस दिना सकल कर्म क्षय कीन । सिद्ध भये सुखमय रहै हुए अष्टगुण लीन ॥ ४ ॥ ॐ ही श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र परवत सेती शान्तिप्रभ कूट के दरशन फल एक कोड उपवास और श्री शान्तिनाथ तीर्थंकरादि नौ कोडाकोडी नौ लाख नौ हजार नौ सौ निन्यानवे मुनि मुक्ति पधारे, अर्घ० ॥ ४ ॥
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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