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ॐन पूजा पाठ मह
छिनमाहि मोह विध्स हौवें आरती कर चावसों ॥ स०॥
ॐ ही मोहसिचर निक्षत्र पर बनी तोगदि असंख्यात मुनि नलिका, दिनान दो० ॥ ६ ॥ शुभ अगर अम्बरनाल सुन्दर धूप प्रभु टिग खेवही। ए दुष्टकम प्रचण्ड तिनको होय तत छिन छेव्ही ॥ सो धूप दसु विधि जरत कारण लीजिये सुध भावसो | सol
ॐई की नन्द रहित रक्त तो दोन तद असव्यात मुनि मुक्ति पारे, अन्न पू० ७ ॥ बादाम श्रीफल लोग पिस्ता लेय शुद्ध सम्हालही। सेकार द्वारा ग्रनार केला तुरत टूटे डालही ।। भवि लेय उत्तन हेत गिव के छट विधि के दावसों ॥ स०।।
ॐ ही मीट केन्द्रित रक्त ते दोन डरादि असख्यात मुनि मुक्ति पधारे, मासना र ल ' ८॥
चपय चाल। जन्म मृत्यु जल हरे, गन्ध आताप तन्दुल पदके अक्षय मदन कू सुमन विदारै ।। क्षुधा हरण नैवेद्य दीप ते ध्वान्त नसावे । धूप दहै वसु कम मोक्ष सुख फल दरसावै ॥ ए वस द्रव्य मिलाएके अर्घ रामचन्द्र कीजिये। कर पूजा गिरिशिखरकी नरभव का फल लोजिये।
ॐ ही श्री सन्मैट शिवर सिद्धक्षेत्र परवत सेतो वीस तीर्थक्रादि असख्यात मुनि मुक्ति पधार, अनर्यपदप्राप्तये अर्ध्य० ॥ ६॥