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श्री महावीर स्वामी पूजा
नतगयन्द ।
प्रेम सम्
श्रीमती हरे वीर, भरे सुख-सीर अनाकुलताई । केहरि अङ्कल अरी करदङ्क, नये हरि-पङ्कति-सौ लिसु आई ।। मैं तुमको इत थापतु हौं प्रभु, भक्ति समेत हिये हरखाई । हे करुणा धन धारक देव, इहां अब तिष्ठहु शीघ्रहि आई ||
क्षीरोदधितम शुचि नीर, कञ्चनभृङ्ग भरों । प्रभु बेग हरो भव पीर, यातै धार करो ॥ श्रीवीर सहा अतिवीर सम्मतिनायक हो । जय वर्द्धमान गुण-धीर, सम्मति-दायक हो ॥ १ ॥
स्वाहा ॥
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कुछ ही श्रन्हावी, विन्न वन्न्छ
मलयागिरि - चन्दनसार, केशर - संग घलों । प्रभु भव आताप निवार पूजत हिये हुलसो ॥ श्रीवीर० ॥