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________________ १२६ श्री महावीर स्वामी पूजा नतगयन्द । प्रेम सम् श्रीमती हरे वीर, भरे सुख-सीर अनाकुलताई । केहरि अङ्कल अरी करदङ्क, नये हरि-पङ्कति-सौ लिसु आई ।। मैं तुमको इत थापतु हौं प्रभु, भक्ति समेत हिये हरखाई । हे करुणा धन धारक देव, इहां अब तिष्ठहु शीघ्रहि आई || क्षीरोदधितम शुचि नीर, कञ्चनभृङ्ग भरों । प्रभु बेग हरो भव पीर, यातै धार करो ॥ श्रीवीर सहा अतिवीर सम्मतिनायक हो । जय वर्द्धमान गुण-धीर, सम्मति-दायक हो ॥ १ ॥ स्वाहा ॥ == कुछ ही श्रन्हावी, विन्न वन्न्छ मलयागिरि - चन्दनसार, केशर - संग घलों । प्रभु भव आताप निवार पूजत हिये हुलसो ॥ श्रीवीर० ॥
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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