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________________ र पूजा पाठ ग्रह निर्वाणक्षेत्र पूजा परमपूज्य चौवील, जिहँ जिहँ थानक शिव गये। सिद्धभूमि निशदीस, मन वच तन पूजा करौं । *हो धीनुमितितीरंथनिर्वाणक्षेत्राणि । अत्र पर स्वतन पट। हो धीगितिनीलविणक्षेत्राणि ! ति तित::. ॐ हीं प्रीगितितोलन्विनिक्षेत्राणि ! कत्र न्न चलिहिनान्न्विन नवा नष्ट । गीता छन्। शुचि छीर-दधि-लम नीर निरमल, कनक-झारीमें भरौं । संसार पार उतार स्वासी, जोर कर विनती करों ।। सम्मेदगढ़ गिरनार चम्पा, पावापुरि कैलाशकों । पूजौं लदा चौबील जिन, निर्वाणभूमि-निवालकों ।। ही गिपिंक निर्माणलेभ्यो पल निमाति बाहः ॥ ६ ॥ केशर कपूर सुगन्ध चन्दन. सलिल शीतल विस्तरौ । भव-तापको सन्ताप मेटो, जोर कर विनती करौ ॥ल. ॐ ही चतुर्दिगतितोदर निर्वाणत्रेभ्यो चन्दन निपानोति बाहः ॥ २ ॥ मोती-समान अखण्ड तन्दुल, अमल आनन्द धरि तरौं। औगुन हरौ गुण करौ हमको,जोर कर विनती करौं । स० ॐ ही श्रीगितिज निर्माणक्षेत्रेभ्यो मतान् विपानीति बाहा ॥: ॥ शुभ फूल-रास सुवास-वासित, खेद सब मन की हरौं ।
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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