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________________ ९२ शान्ति पाठ भाषा चौपाई | शांतिनाथ मुख शशि उनहारी, शील- गुणत्रत - संयमधारी । लखन एक सौ आठ विराजें, निरखत नयन कमलदल लार्जे ॥ पञ्च चक्रवतिपद धारी, सोलन तीर्थंकर सुखकारी । इन्द्र नरेन्द्र पूज्य जिन नायक. नमो शांनिहितशांति विधायक ॥। दिव्य विटप पहुपनकी वरपा, दुन्दुभि आसन वाणी सरसा । छत्र चमर भामण्डल भारी, ये तुव प्रातिहार्य मनहारी || शांति जिनेश शांति सुखदाई, जगत्पूज्य पूजौं शिर नाई । परम शांति दीजै हम सबको, पढ़ें तिन्हें पुनि चार संघको ॥ वसन्ततिलका | पूजैं जिन्हें मुकुट हार किरीट लाके । जेन पूजा पाठ मह इन्द्रादि देव अरु पूज्य पदाज जाके || सो शान्तिनाथ वरवंश जगत्प्रदीप | मेरे लिये करहिं शान्ति सदा अनूप ॥ इन्द्रवज्रा । संपूजकों को प्रतिपालकों को यतीनको औ यतिनायकों को । राजा प्रजा राष्ट्र सुदेशको ले, कीजै सुखी हे जिन शांतिको दे ॥
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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