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शान्ति पाठ भाषा चौपाई |
शांतिनाथ मुख शशि उनहारी, शील- गुणत्रत - संयमधारी । लखन एक सौ आठ विराजें, निरखत नयन कमलदल लार्जे ॥ पञ्च चक्रवतिपद धारी, सोलन तीर्थंकर सुखकारी । इन्द्र नरेन्द्र पूज्य जिन नायक. नमो शांनिहितशांति विधायक ॥। दिव्य विटप पहुपनकी वरपा, दुन्दुभि आसन वाणी सरसा । छत्र चमर भामण्डल भारी, ये तुव प्रातिहार्य मनहारी || शांति जिनेश शांति सुखदाई, जगत्पूज्य पूजौं शिर नाई । परम शांति दीजै हम सबको, पढ़ें तिन्हें पुनि चार संघको ॥
वसन्ततिलका |
पूजैं जिन्हें मुकुट हार किरीट लाके ।
जेन पूजा पाठ मह
इन्द्रादि देव अरु पूज्य पदाज जाके ||
सो शान्तिनाथ वरवंश जगत्प्रदीप |
मेरे लिये करहिं शान्ति सदा अनूप ॥
इन्द्रवज्रा ।
संपूजकों को प्रतिपालकों को यतीनको औ यतिनायकों को । राजा प्रजा राष्ट्र सुदेशको ले, कीजै सुखी हे जिन शांतिको दे ॥