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________________ ( २१० ) रमणी रत्नमाला - लेखक प्रज्ञात, मा० हि० । रयणसार ( सटीक ) -- लेखक कुन्दकुन्दाचार्य, अनु० क्षुल्लक ज्ञान सागर, भा० प्रा० हि० पृ० १३० ॥ रयणसार - लेखक कुन्दकुन्दाचार्य, सपा० प० पन्नालाल सोनी, भा० प्रा० सं० पृ० ३२ वर्ष १६२० । रविव्रत उद्यापन ले० भानुकीर्ति व भाऊ कवि, प्र० मूलचन्द किशनदास कापड़या सुरत, भा० स० पृ० १६, ० १६४३, भा० द्वितीय । रविव्रत कथा -- लेखक कवि भाऊ, प्र० जिनवाणी प्रचारक कार्यालय कलकत्ता, भा० हि०, पृ० १६ । रविव्रत कथा - ले० कवि भाऊ, प्र० जैन ग्रन्थकार्यालय देवरी, भा० हि० पृष्ठ १५ । - रविव्रत कथा (बडी) - लेखक ज्ञानचन्द जैनी, प्र० देहली; भार हि०, पृ० ४५; १० १६४१, प्रा० प्रथम, कुछ माताओ ने प्रकाशित कराया) । रस भरी लेखक प्र० भगवत स्वरूप जैन, भा० हि०, पृ०६६, व० १९४० । रहस्यपूर्ण चिट्ठी - ले० प० टोडरमल्ल जी, सग मास्टर छोटेलाल, प्र० दिग० जैन पुस्तकालय सूरत, भा० हि० पृ० १६, ० १९३६ ० द्वितीय । राजपुताने के जैन वीर - लेखक अयोध्याप्रसाद गोयलीय, प्र० हि० विद्यामंदिर देहली, भाषा हिन्दी, पृष्ठ ३५२, वर्ष १६३३, प्रा० प्रथम । राजुन पच्चीसी -- लेखक कवि विनोदी लाल, प्र० बद्रीप्रसाद जैन काशी; भाषा हिन्दी, पृष्ठ १३, वर्ष १६०६, प्रा० प्रथम वर्धमान जैन पुस्तकालय ( इरो ही देहली की राजुल भजन एकादशी - लेखक पंडित न्यामतसिंह, प्र० स्वयं हिनार; भाषा हिन्दी, पृष्ठ ८, प्रा० तीसरी । रात्रि भोजन कथा (सचित्र) - प्र० जिनवारणी प्रचारक कार्यालय कलकत्ता, भाषा हिन्दी, पृष्ठ ५६, व १६३६ ।
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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