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________________ (२११) · रामदुलारी-लेखक प्र० बा० सूरजभान वकील देवबंद; मा० हि०। . रामबनबास (काव्य)-लेखक प० गुणमद्र जी, प्र० जिनवाणी प्रचारक कार्यालय कलकत्ता, भा० हि०, पृ० ६५, व० १६३६, मा० प्रथम । • रिष्ट समुच्चय-लेखक दुर्गदेव, संपा० ए. एस. गौपानी, प्र. सिंधी जैन अध माला बंबई, भा० प्रा० स०अ०, पृ० १५६, २०१९४५, प्रा० प्रथम । रेशम के वस्त्र -लेखक ज्योतिप्रशाद जैन, प्र. जैन मित्र मंडल देहली, मा० हि०, पृ० ८। • लखनऊ परिचय-लेखक ज्योतिप्रशाद जैन, प्र. अवध प्रान्तीय दिग. जैन परिषद लखनऊ, भा० हि०, पृ० १६, २० १९४४ । - लघुन यचक्र-लेखक देवसेन, (नय चकादि संग्रह में प्र०)। “ लघुबोधामृतसार-लेखक कुंथसागर प्राचार्य, अनु० वर्षमान पाश्वनाथ शास्त्री, प्र० सेठ मगनलाल खमीचद जावरा, भा० सं० हि०, पृ० १३, २० ११३८ । लघुशान्ति सुधा सिंधु-लेखक कुंथसागर प्राचार्य, प्र० विजयलाल जैन हूँगरपुर, भा० स० हि०, पृ० ४४, व० १६४८ । लघुपर्वसिद्धिः-लेखक अनन्तकीर्ति, मा० स०, पृ० २३, व० १६१५ । लघुमामायिक या पाप प्रायश्चित-ले० चम्पालाल जैन, प्र० सेठ गुलाब चंद्र, भा० हि, पृ० २० । लड़कों के विक्रय का डामा-लेखक कवि ज्योतिप्रशाद, प्र० रा मा. नेमदास देहली भा० हि०, पृ० १७, २० १९३६, आ० प्रथम । लघयित्रयम्- (अकलंक अथ त्रयम् तथा लघयिस्त्रादि सग्रह मे प्र०)। लघायच्यादि संग्रह-लेखक भट्टाकलक व प्रनन कीर्ति, सपा०प० कलप्पा भरमप्पा निटवे, प्र० मारिएकचन्द्र दिग० जैननथमाला बम्बई, भा० सं०, पृ० २२४, व० १९१६, प्रा० प्रथम । लब्धिसार (क्षपणासार सहित)-लेखक नेमिचन्द्र सि० च०, स. टी० केशववर्णी (जीव तत्त्व प्रदीपिका), हि०, टी० पं० टोडरमल्ल (सम्यग्ज्ञान
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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