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________________ (१५४ ) कार्यालय कलकत्ता, भा० हि०, पृ० १७, २० १९३६, प्रा० प्रथम । दर्शन कथा (बड़ी-पद्य)ले. कवि भारामल्ल, प्र. पूरनमल जैन शमसाबाद, (आगरा); भा० हि०, पृ० ६४, व० १९४२, प्रा० द्वितीय । दर्शन प्राभृत-ले० कुन्दकुन्द, टी. श्रुतसागर, भा० प्रा० सं०, (षटप्राभूतादि सग्रह मे प्र०)। दर्शन पाठले. दौलतराम व पुवजन जी, प्र० जैन साहित्य प्रसारक कार्यालय बम्बई, भा० हि: पृ० १६, व० १६३० । दर्शन पाहुड-ले० कुन्दकुन्द, भा० प्र०, (प्रष्ट पाहुइ व षट पाहुर संग्रह में प्र०)। ' दर्शन सार-ले. देवसेनाचार्य; टी० सपा० पं० नाथुराम प्रेमी, प्र० बैन ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय बम्बई। दर्शन प्रतीक्षा-ले० प्रेमी सहारनपुरी, प्र० प्रेमभवन पुस्तकालय, सहारनपुर; भा० हि०, पृ०२४; प्रा० प्रथम । दर्श महिमा-ले० प्रेमी सहारनपुरो, प्र. प्रेम भवन पुस्तकालय सहारनपुर; भा० हि०, पृ० २४ प्रा० प्रथम । द्रव्य दर्पण-ले०प० अजितकुमार शास्त्री, प्र० चतन्य प्रिंटिंग प्रेस बिजनौर, भा० हि० पृ० ३६; २०१६३०, प्रा० प्रथम । द्रव्य स ग्रह-ले० नेमिचन्द f. च०, टी० बा० सूरजभान वकील, प्र० टी० स्वय देवबद, भा० प्रा० हि०, पृ० ८१, व० १६०६ । द्रव्य संग्रह-ले० नेमिचन्द्राचार्य, अनु० पं. सतीश चन्द्र, प्र० जिनवाणी प्रवारक कार्यालय कलकता; भा० प्रा० हि०, पृ० ३६, व० १९२६ मा० प्रथप। द्र मग्रह-ले० नेमिचन्द्राचार्य, टी० बा० सूरजभान वकील, प्र० जैन साहित्य प्रसारक कार्यालल ब्रम्बई; भा० प्रा० हि०, पृ० १२४, २०१९२६ पा० प्रथम । द्रव्य स ग्रह-ले० मिचन्द्राचार्य, पद्यानुवाद-शानवराय; टी० संपा०
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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