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परम ज्योति महाबीर
कोई नूपुर पहिनाती थी उनके मृदु चरण सरोजों को । कोई पहनाती पुष्प हार, जो लेते घेर उरोजों को ॥
कोई उनके मृदु अधरों में रँग हलका लाल लगाती थी। कोई उनकी दन्तावलि में, मिस्सी तत्काल लगाती थी॥
कोई पूजन का समय समझ, पूजन सामग्री लाती थी। कोई वसु द्रव्यों को थालीमें विधिवत् शीघ लगाती थी॥
जिनराज भारती को कोई, शुचि मणि मय दीप जलाती थी। कोई स्वर्णिम धूपायन में अंगारे कुछ सुलगाती थी।
जब रानी पूजा पढ़ती थी तो, कोई सँग में कहलाती थी। कोई शुभ नृत्य किया करती, कोई मधु वाद्य बजाती थी।