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परम ज्योति महावीर
पश्चात् वहाँ से 'श्रावस्ती'की ओर चले वे महा श्रमण ।
औ' पहुँचे 'सेयविया' आदिकनगरों में करते हुये भ्रमण ॥ .
'श्रावस्ती' से चल ‘कौशाम्बी' फिर 'वाराणसी' गये 'सन्मति' । पश्चात् 'राजगृह' 'मिथला' हो, 'वैशाली' पहुँचे वे जिनपति ॥
वर्षागम देख किया उनने, ग्यारहवाँ चातुर्मास वहीं । अब देखो, कितने दिन तक वे, लेते न एक भी ग्रास कहीं ।