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परम ज्योति महावीर
यह राजपाट क्षणभंगुर है, यह नहीं सदैव ठहरता है । निज पुण्य क्षीण हो जाने पर, क्षण में सब ठाट विखरता है ।।
भूगोल यही बतलाता है, बतलाता है इतिहास यही । जाने कितनों ने राज्य किया, पर रहा किसी के पास नहीं ।
षट् खण्ड जिन्होंने राज्य किया, सम्राट 'भरत' वे आज कहाँ ? उन पर भी जय पाने वाले, वे बाहूबलि नरराज कहाँ ?
'कैलाश' उठाने वाले वे, 'रावण' लंका के ईश कहाँ ?
औ' उन्हें हराने वाले भी, वे 'रामचन्द्र' जगदीश कहाँ ?
यों इस भू पर जाने कितनेही भूपों के अधिकार हुये । यों इस नभ के नीचे जानेकितनों के जय जयकार हुये ।।