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परम ज्योति महावीर
देखो, वैराग्य बढ़ाने को क्या क्या विचार अब आते हैं ? निज अवधिज्ञान में उन्हें पूर्व भव कैसे आज दिखाते हैं ?
किस भाँति भावना द्वादश का वे मन में चिन्तन करते हैं ? किस भाँति विरक्ति-किशोरी में, यौवन के चिन्ह उभरत हैं ?
संक्षेप रूप में ही कवि को, यह सारा वर्णन करना है। प्रभु-चिन्तन-सागर को छन्दोंकी लघु गागर में भरना है ।