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परम ज्योति महावीर यह दे उन्होंने 'वर्धमान'-- का नाम सभक्ति रखा 'सन्मति । निःसंशय हो फिर चले गये, गन्तव्य दिशा को दोनों यति ॥
इस घटना से अति मुदित हुये, 'सिद्धार्थ' पिता, त्रिशला' माता । प्रायः यों सुत का पुण्य निरख.
दोनों का अन्तस हर्षाता ॥ यो क्रमशः बढ़ कर आठ वर्षके अब वे 'वीर कुमार हुये । लो, देखो, देव-परीक्षा-नद, किस कौशल से वे पार हुये ॥