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परम ज्योति महावीर.
तत्क्षण ही कारागारों से, सब बन्दी बन्धन मुक्त किये । पिंजड़ों से कोयल, तीतुर औ' तोता, मैना, उन्मुक्त किये ॥
ऋणियों पर जितना भी ऋण था, वह सब का सब भी त्याग दिया । औ' नहीं किसानों से मिलनेवाला भी कृषि का भाग लिया ।
दस दिन के लिये समस्त करोका लेना बन्द कराया था। बहुमूल्य पदार्थों का भी तो, अतिशय ही मूल्य घटाया था ।।
इन सुविधाओं से लाभ हुवा-- सिद्धार्थ-राज्य में लाखों को । नृप की उदारता देख सफल, माना सबने निज आँखों को ।
हर याचक हेतु किमिच्छिक भी-- धनदान दिया सोल्लास गया । अाशा से बढ़कर पा लौटा, जो याचक उनके पास गया ॥