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आरम्भ कहीं पर नृत्य हुवा, आरम्भ कहीं पर गान हुवा | हर कलाकार का स्वीय कला दिखलाने को श्राह्वान हुवा ||
परम ज्योति महावीर
अब चलो विलोकें 'कुण्डग्राम'
श्रृङ्गार
कैसा उसका हुवा ? देखें कि वहाँ जन्मोत्सव का कैसा क्या क्या
संभार हुवा ?
हो जाओ, प्रस्तुत शीघ्र सुहृद् । अविलम्ब लेखनी चलती है । देखो, जन्मोत्सव की शोभा, कैसे छन्दों में ढलती है ?