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जीवन परिचय-आप कर्नाटक देश के निवासी थे और ब्राह्मण कुल में उत्पन्न हुए थे। पूज्यपाद चरित और राजावली कथे नामक ग्रन्थ में आपके पिता का नाम माधव भट्ट और माता का नाम श्रीदेवी दिया है। आपका जन्म कोले नाम के ग्राम में हुआ था।
जीवन घटना-आपके जीवन में अनेक घटनायें-1. विदेह गमन, 2. घोर तपश्चरणादि के कारण आखों की ज्योति का नष्ट होना तथा शान्ताष्टक के निर्माण और एकाग्रता पूर्वक उसका पाठ करने से उसकी पुनः सम्प्राप्ति, 3. देवताओं द्वारा चरण पूजा जाना, 4. औषध ऋद्धि की उपलब्धि, 5. पाद स्पृष्ट जल के प्रभाव से लोहे का स्वर्ण में परिणित हो जाना।
आपकी रचनाएं-तत्वार्थ वृत्ति (सर्वार्थ सिद्धि), समाधि तंत्र, इष्टोपदेश, दशभक्ति, जैनेन्द्र व्याकरण, वैद्यक शास्त्र, छन्द ग्रन्थ, शान्त्यष्टक, सार संग्रह और जैनाभिषेक।
समय-आचार्य पूज्यपाद का समय सं. 666 से पूर्व का है। अकलंकदेव ने भी सर्वार्थ सिद्धि को वार्तिकादि के रूप में तत्वार्थ वार्तिक में अपनाया
है।
सन्मति में सूत्र और कुछ द्वाविंशतिकाओं के कर्ता सिद्धसेन का समय चौथी-पांचवीं शताब्दी का है। अतएव पूज्यपाद भी इसी समय के विद्वान
__ आचार्य देवनन्दि मूलसंघ के अन्तर्गत नंदिसंघ के प्रधान आचार्य थे। नन्दिसंघ की पट्टावली में भी देवनन्दि का दूसरा नाम पूज्यपाद बतलाया है। वादिराज ने भी इनका स्मरण किया है। आदि पुराण के कर्ता जिनसेन इनकी स्तुति करते हुए कहते हैं
'कषीनां तीर्थकृद्देवः किं तरां तत्र वर्ण्यते ।
विदुषां वाङमलध्वंसि तीर्थ यस्य वचोमयम्।' पद्यावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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