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बाद' के स्वतन्त्रता आन्दोलन में कूद पड़े । फलस्वरूप दीर्घकाल तक थे कारागार में बन्द रहे। सन् 1953 में कलकत्ता के रईस श्रीमान बाबू छोटे लाल की प्रेरणा से उन्होंने लिलुआ (कलकत्ता) में स्टेनलेस स्टील का कारखाना खोला और स्वतन्त्र व्यवसाय करते हुए समाज एवं साहित्य की सेवा करते रहे।
रहयू साहित्य के प्रकाशन के लिए वे बड़े लालायित रहे किन्तु असामयिक निधन के कारण उनकी यह साध पूर्ण न हो सकी।
बाबूजी ने सबसे बड़ा कार्य किया-पद्मावती-पुरवाल डायरेक्टरी का प्रकाशन कर। यद्यपि उसका प्रथम भाग ही में प्रकाशित कर सके, फिर भी, पद्मावती-पुरवाल-समाज के इतिहास-लेखन के लिये वह एक अच्छा दस्तावेज तैयार हो गया है। वे समाज की प्रगति के लिये बड़े चिंतित रहा करते थे।
श्री धन्यकुमार जैन श्री धन्य कुमार जैन (1923 ई.) कोटकी (अवागढ़) की विशेषता थी कि उन्होंने जैनधर्म के साथ-साथ जैनेतर धर्मों का भी अध्ययन किया तथा जैन एवं जैनेतर मन्दिरों के जीर्णोद्धार कराते रहे। इनके अतिरिक्त वे मण्डल-कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता थे तथा जैन संस्थाओं के विकास में अविस्मरणीय योगदान दिया।
श्री ब्रजकिशोर जैन (फिरोजाबाद) श्री ब्रजकिशोर जी ने सन् 1959 में उार प्रदेश सरकार-शासन में जेलर के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की। तत्पश्चात् प्रौढ़-शिक्षा-प्रसार विभाग आदि में भी अपने सक्रिय सहयोग किये।
श्री किशोर साहब की विशेष अभिरुचि प्रारम्भ से ही संस्मरण, इतिवृत-लेखन एवं पत्रकारिता में रही। सन् 1970 में अपने सहयोगियों के
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पावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास