________________
रहा है। कुशल वक्ता, यशस्वी लेखक एवं निर्भीक समीक्षक हैं। वर्तमान में जैन-गजट के सम्पादन में कार्यरत हैं।
समाज की साक्षात् सेवा हेतु आपने पी.डी. जैन इंटर कॉलेज फिरोजाबाद की प्रधानाध्यापकी से समय के पूर्व ही अवकाश ग्रहण कर लिया और अब सारा समय अखिल भारतीय शास्त्री परिषद् एवं समाज-सेवा में लगा रहे हैं। कॉलेज के अध्यापन काल में इनकी निम्नलिखित रचनाएं लाकप्रिय थीं।
1. नूतन व्याकरण प्रदीप, 2. रचना रशिम, 3. हिन्दी दिग्दर्शन, 4. हिन्दी रचना कल्पद्रुम, एवं, आचार्य विमलसागर-परिचय आदि।
श्री रामस्वरूप जैन 'भारतीय' बैरिस्टर चम्पतराय के घनिष्ठ मित्र जारखी निवासी श्री रामस्वरूप जैन 'भारतीय' न केवल पद्मावती-पुरवाल अपितु समग्र जैन समाज के समर्पित सेवक के रूप में प्रसिद्ध रहे।
वे योजनाओं के कुशल निर्माता तथा सम्पादन-कला के मर्मज्ञ थे। इनकी जानकारी उन पत्र-पत्रिकाओं से मिलती है, जिनका उन्होंने दीर्घकाल तक सम्पादन किया। यथा
1. पद्मावती-संदेश, 2. देवेन्द्र (साप्ताहिक), 3. वीर भारत (साप्ताहिक), 4. नवभारत (देहरादून, संस्करण), 5. जैन मार्तण्ड (हाथरस), 6. महावीर (विजयगढ़), एवं 7. ग्राम्य-जीवन (आगरा)।
इनके अतिरिक्त वे निम्न लिखित संस्थाओं के उच्च पदाधिकारी रहे1. पद्मावती-महासभा के संस्थापक अध्यक्ष, 2. जीवदया प्रचारिणी सभा के महामंत्री, 3. अखिल भारतीय दिगम्बर जैन परिषद के संस्थापक मंन्त्री, 4. राष्ट्र भाषा हिन्दी के प्रचारक, 5. गोमाता रक्षक सभा एवं 6. ग्राम पंचायत सभा। पद्यावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
364