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सरल स्वभावी, धार्मिक क्रियाशील व्यक्ति हैं। सुधीर, राजीव और स्वास्तिक इनके तीन पुत्र हैं। श्री कैलाश जी के छोटे भाई स्व. श्री नरेन्द्र कुमार का परिवार भी कोलकाता में रहता है। पद्मावती पुरवाल जाति के प्रति श्री कैलाशचन्द जी के मन में विशेष लगाव है। भारत के पूर्वांचल स्थित बंगाल, बिहार, उड़ीसा, झारखंड, नागालैंड, त्रिपुरा और मणिपुर के राज्यों में रहने वाले पद्मावती पुरवाल जाति के लोगों का संगठन बनाकर वहां की डायरेक्ट्री प्रकाशित कराके प्राचार्य श्री नरेन्द्र प्रकाश से उसका लोकार्पण करवाया। पूर्वांचल और पूरे भारत के लिए ये प्रेरणा और गौरव की बात है। अपनी जाति का वहां एक मंदिर बनवाने के लिए प्रयत्नशील हैं। वैसे वे पार्श्वनाथ दि. जैन मंदिर ट्रस्ट, हावड़ा के ट्रस्टी हैं। मंदिर के 11 ट्रस्टियों में यही एकमात्र पद्मावती पुरवाल जाति के ट्रस्टी हैं। बाजार फोरम के प्रेसिडेंट हैं। बंगाल शुगर मर्चेन्ट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट हैं। हावड़ा मंदिर के जगह लेने में भी आपका उल्लेखनीय योगदान रहा है। पूरा परिवार धार्मिक और खुशहाल है।
श्री एम.पी. जैन, गाजियाबाद आगरा जिले के अहारन जनपद में श्री बुद्धसेन जैन के परिवार में एक बालक ने 1935 में जन्म लिया। उसका नाम रखा महावीरप्रसाद । शिक्षा प्राप्त करने के लिए श्री महावीर प्रसाद जी दिल्ली आये। दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. करने के बाद वह रामजस कालेज में लैक्चरार के रूप में कार्य करने लगे। 1960 में उनका चयन उत्तर प्रदेश के पी.सी.ए. कैडर में हो गया। परिणाम स्वरूप उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में उप जिला अधिकारी, अपर जिला अधिकारी और जिला अधिकारी रहे। 1981 में आपकी आई.ए.एस. केडर में पदोन्नति हो गई और उत्तर प्रदेश सरकार के सचिवालय में संयुक्त सचिव आदि पदों पर रहे।
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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