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. ... .. श्री डालचंद सर्राफ की धर्मपत्नी श्रीमती कमलश्री बाई ने सन् - 1995 में सीमन्धर दिग. जैन मंदिर, लालवानी प्रेस रोड,
भोपाल का निर्माण कर समाज के सुपुर्द कर दिया जो अब श्री
डालचन्द कमलश्री बाई ट्रस्ट के द्वारा संचालित हो रहा है। 5. श्रीमती जैनमति जैन ध.प. श्री मदनलाल ने वर्ष 2000 में चार
हजार वर्गफिट की भूमि पर एक बड़ी दो मंजिला धर्मशाला निर्माण कर ट्रस्ट के माध्यम से समाज के सार्वजनिक कार्यों
के लिए समर्पित कर दी। इसी प्रकार मध्यप्रदेश के अन्य गांवों, कस्बों, तहसील व जिला क्षेत्रों में समाज के कई महानुभावों ने मंदिर व धर्मशालाओं का निर्माण कराया है या उनके निर्माण में सहयोग दिया है।
नपा-तुला बोलो मनुष्य को वाणी का लाभ प्राप्त है, यह किसी अयाचित वरदान से कम नहीं है। पशु-पक्षी तो बोलना जानते ही नहीं। वे अपने मन की बात किसी से नहीं कह सकते, किन्तु मनुष्य के पास भाषा के माध्यम से अपने विचारों और अनुभवों को दूसरों तक सम्प्रेषित करने की असाधारण शक्ति है। उसे इसका सदुपयोग करना चाहिए।
मनुष्य के पास दो कान, दो आंखें और एक मुंह है। इसमें एक अद्भुत रहस्य छिपा हुआ है वह दो बार देखे और दो बार सुने, तब एक बार बोले, नपा-तुला और सुविचारित बोलना भी एक कला है। शब्द ब्रह्म है। सरकारी नल की टोंटी से निरन्तर बहते हुए पानी की तरह शब्दों को निरर्थक बर्बाद करना शब्द-ब्रह्म से खिलबाड़ करना है। यह भी एक अपराध है।
-'चिन्तन प्रवाह' से साभार पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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