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यहां का बड़ा पंचायती मंदिर लगभग 450 वर्ष पुराना है। यहां विराजमान मूर्तियों के दर्शन करने से चमत्कारिक पुण्य फल मिलता है। मंदिरजी के बाहर एक विशाल मानस्तम्भ भी है। इसी मंदिरजी के बराबर में आचार्य श्री महावीर कीर्ति जी महाराज के परम शिष्य क्षुल्लकमणि श्री शीतलसागरजी महाराज ने अपने गुरु की स्मृति में दिगम्बर जैन धर्म प्रचारिणीसभा की लगभग 35-40 वर्ष पूर्व स्थापना की थी। इस संस्थान द्वारा निर्मित विशाल भवन के एक बड़े हाल में और ऊपर की मंजिल में भी जिन प्रतिविम्ब विराजमान है। यह संस्था असहाय बहनों को आर्थिक सहायता भी देती है।
अवागढ़ में श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अटारी मंदिर भी है। इसके अलावा यहां पर लगभग 30 वर्ष पूर्व अवागढ़ टाउन एरिया कमेटी के तत्कालीन चेयरमैन श्री धन्यकुमार जैन ने निशियांजी में एक भव्य मन्दिर का निर्माण कराया है। मंदिरजी को और अधिक भव्यता प्रदान करने के लिए यहां निर्माण कार्य निरंतर चलता रहता है।
अवागढ़ की पद्मावती पुरवाल पंचायत/समाज बड़ी धार्मिक और संगठित रही है। परिणाम स्वरूप आचार्य श्री शांतिसागरजी, महावीर कीर्ति जी महाराज एवं श्री विमलसागरजी महाराज आदि एवं अनेक मुनिराज व आर्यिका माताओं के यहां पदार्पण से यहां की धरती उपकृत हुई है। वर्तमान प्रबन्धकारिणी समिति निम्न प्रकार है
अध्यक्ष श्री महावीर प्रसाद जैन, उपाध्यक्ष-श्री श्रवणकुमार जैन सिवन', महामंत्री-श्री प्रमोदकुमार जैन बजाज, मंत्री-श्री हर्षकुमार जैन, कोषाध्यक्ष-श्री सुधीर जैन कैमिस्ट, लेखानिरीक्षक श्री अनिल कुमार जैन एडवोकेट, सदस्यगण- सर्वश्री गुलाबचन्द्र जैन, पं. पदमचन्द्र जैन, सुभाषचन्द्र जैन, पवनकुमार जैन (सरानी), हरेशकुमार जैन ।
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पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास