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मदद को हमेशा तैयार रहते थे। अनेक वृद्ध महिलाओं और पुरुषों को प्रयास करके आपने वृद्धावस्था पेंशन स्वीकृत कराई थी।
हकीम प्रेमचन्द्र जी हृदय रोग के मरीज थे। उन्हें अपने जीवनकाल में पत्नी तथा दो-दो युवा पुत्रों के आकस्मिक और असामयिक निधन की त्रासद घटनाओं का दुःख झेलना पड़ा।
17 मई 1997 को आपने अन्तिम सांस लेकर इस संसार से विदा ली ।
पं. सेजमलजी जैन अकोदिया मण्डी जिला (शाजापुर) म. प्र.
मधुर स्वभावी, खुशमिजाज, धार्मिक, कार्यों में एवं गायन में लगनशीलता के धनी पं. सेजमल जी का जन्म लगभग सन् 1925 में मालवा प्रांत की शस्य श्यामला काली सिंध सरिता के तट पर ग्राम तिंगजपुर में हुआ ।
ये दिगम्बर जैन पद्मावती पुरवालों के ज्ञानाबाद कुरराबाद शहर में ग्राम तिंगजपुर (सुनेरा) में 700 छकड़ों द्वारा आकर के कई परिवार के पड़ाव (बसने ) व निकासी स्थली वाला ग्राम है। इनके पिता श्री सेठ घासीराम थे। आपके ज्येष्ठ भ्राता स्व. श्री मुन्नुलाल जी साहब थे।
पैतृक कृषि किराना व्यवसाय के साथ देश व प्रदेश के श्रेष्ठ नगर बड़नगर में पं. विष्णु कुमार जी वैद्य एवं सगे काका श्री सुन्दर लाल जैन से धार्मिक, सामाजिक शिक्षा पाई। आपको महाउपदेशक स्व. श्री पं. कस्तूरचंद जी भोपाल का आशीर्वाद प्राप्त है।
आपके बड़ नगर में लगभग 20 वर्षों तक मन्दिर, पाठशाला में जैन धर्म की शिक्षा दी एवं प्रक्षाल पूजन करते रहे। बड़नगर में छात्रावास, गुरुकुल एवं औषधालय हेतु भारत देश में वर्षा भ्रमण कर प्रचार-प्रसार किया एवं संस्थाओं हेतु दान राशि एकत्रित की।
आपने श्री महावीरजी के कृष्णाबाई आश्रम में पांच वर्ष तक प्रचारक
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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