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स्व. श्री हजारीलाल वकील, फिसेजाबाद : फिरोजाबाद के पं. ज्योतिप्रसाद के यहां 23 अगस्त 1912 को जिस बालक ने जन्म लिया उसका नाम हजारीलाल रखा गया। विलक्षण प्रतिभा के धनी इस बालक ने अल्प आयु में ही बी.ए., एल.एल.बी. की परीक्षा पास कर वकालत का व्यवसाय प्रारम्भ किया। अच्छा यश कमाया। पर इससे न तो स्वयं श्री हजारीलालजी और ना ही उनके पिता श्री ज्योतिप्रसादजी संतुष्ट थे। पंडित जी का स्वयं का व्यक्साय भी अच्छा था। वे शुद्ध और अच्छी कमाई पर विश्वास करते थे। श्री हजारीलालजी अपने पिताजी के परम भक्त थे। उनकी भक्ति की तुलना मातृ-पितृ भक्त श्रवणकुमार से की जाती थी। पिताजी की भावनाओं के अनुकूल और अपनी संतुष्टि के लिए उन्होंने वकालत की ही नहीं। उन्होंने पिताजी के व्यवसाय को ही आगे बढ़ाने का मन बनाया, पर धार्मिक भावनाओं से परिपूर्ण और सुसंस्कारित श्री हजारीलालजी का मन समाज सेवा और राष्ट्र सेवा की ओर बढ़ा और उस ओर निरंतर आगे बढ़ते गये। रचनात्मक कार्यकर्ताओं में आपका नाम बड़े आदर और प्रमुखता से लिया जाने लगा। कुछ कर दिखाने के लिए कृतसंकल्प श्री हजारीलाल ने अपने आपको पूरी तरह समाज और राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया।
सन् 1939 से 1944 तक-फिरोजाबाद नगरपालिका के आप सम्मानित सदस्य रहे। लगभग 8 साल तक शिक्षा-चेयरमैन का पद भार भी अपने कुशलतापूर्वक सम्भाला था। गांधी-सेवा संघ के आप संयुक्त मन्त्री भी रह चुके थे। जिला नियोजन समिति एवं भ्रष्टाचार निरोध समिति के सदस्य रह कर आपने इस क्षेत्र की चिर स्मरणीय सेवाएं की हैं। शिक्षा प्रधान संस्था 'पी.डी. जैन इण्टर कालेज के संस्थापकों में आपका महतवपूर्ण स्थान है। इस कालेज के भी आप प्रबन्धक व अध्यक्ष रहे थे। इस कालेज. का मुख्य द्वार आपने अपने पिता जी की पुण्य स्मृति में निर्माण करवाया 141
पद्मावतीपुरवात दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास