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( इंग्लैंड) में स्थायी रूप से रह रहे हैं तथा तीसरे पुत्र 'नवभारत टाइम्स' दिल्ली में कार्यरत हैं। इन्होंने भी अपने परिवार के बच्चों में वे ही संस्कारित बीज डाले हुए हैं।
यद्धपि आपका भौतिक शरीर 5 नवम्बर, 1988 को पंच भूतों में विलीन हो गया लेकिन आपके व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा आज भी होती रहती है। हम पंडित जी के प्रति अपनी विनयांजलि अर्पित करते हैं ।
स्व. पं. बंशीधरजी शास्त्री
आपका जन्म बेरनी (एटा) में हुआ, परन्तु कार्यक्षेत्र शोलापुर रहा । वहां आपका प्रेस था। बड़े तीक्ष्ण एवं शास्त्रों के मर्मज्ञ थे। किसी भी शास्त्रीय विवाद में आपके सामने टिक सकना हर किसी के वश का नहीं था। आपके नाम के आगे शास्त्री, काव्यतीर्थ, उपाधि नहीं 'पंडित' लगाते थे । आपने आत्मानुशासन आदि अनेक ग्रन्थों की टीका तथा अष्ट सहस्त्री जैसे कठिन ग्रन्थ का संपादन किया ।
श्री भगवानस्वरूपजी, पूर्व चेयरमैन, टूंडला
श्री भगवान स्वरूप जी जैन टूंडला टाउन एरिया कमेटी के 30 वर्ष तक चेयरमैन रहे । अतः 'चेयरमैन' इनका उपनाम बन गया। प्रारम्भ में टाउन एरिया की स्थिति गांव जैसी थी, परन्तु अनवरत प्रयासों से उसका विकास नगर के ढंग पर हुआ। पूरे ढूंडला में प्रत्येक गली पक्की कराई गई। बिजली योजना का प्रारम्भ सन् 41 में कराया गया और पेयजल योजना सन् 60 में पूरी कराई। आपके समय में स्वच्छता के कारण नगर में मच्छर नहीं थे। आपके कारण अधिकारी और कर्मचारियों में भ्रष्टाचार नहीं था और जनता का हर कार्य सुचारु रूप से सुविधापूर्वक होता गया।
जैन धर्म पालन का आदर्श टाउन एरिया में प्रस्तुत किया और बन्दर पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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