________________
. इसके बाद आप एस.आर. इण्टर कालिज, फिरोजाबाद में प्रविष्ट हुए। वहां आपको मैट्रिक की परीक्षा में सन् 1951 में प्रथम श्रेणी मिली।
साहित्य के प्रति आपकी रुचि दिन प्रतिदिन बढ़ती गई। इण्टर कालिज, फिरोजाबाद में आप अपने समय के श्रेष्ठ वक्ता थे। आपको सन् 1948 से 1953 तक बराबर सर्वश्रेष्ठ वक्ता के प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार मिलते रहे। आप जब इण्टर के विद्यार्थी थे तब आपका विवाह राजेश्वरी देवी आत्मजा श्री जयकुमार दास जी जैन (एटा) के साथ सम्पन्न हुआ।
सन् 1953 में आपने श्री पी.डी. जैन इण्टर कालिज, फिरोजाबाद में सहायक अध्यापक के रूप में कार्य शुरू किया और इसी विद्यालय में निरन्तर 39 वर्ष सेवारत रहकर 1992 में प्राचार्य पद से अवकाश ग्रहण किया। स्वाध्यायी रूप से आपने बी.ए. तथा एम.ए. की परीक्षाएं उत्तीर्ण की।
आप विद्यालय पत्रिका के संपादक तथा कालिज की हिन्दी परिषद के अध्यक्ष रहे। नगर के बुद्धजीवियों की संस्था 'मानसरोवर साहित्य संगम' के मुख्य सचेतक तथा उत्तर प्रदेश शिक्षक संघ जनपद, आगरा के अध्यक्ष रहे। आपने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया। इतना ही नहीं आपकी योग्यता से प्रभावित हो अनेक बड़ी-बड़ी संस्थाएं आपसे सहयोग की प्रार्यनी हुई। आपने सभी की कुछ-न-कुछ सेवायें कीं। आप अखिल भारतीय शांतिवीर सिद्धान्त संरक्षिणी सभा, अ.भा.दि. जैन शास्त्री परिषद तथा अ.भा. जैन परिषद परीक्षा बोर्ड के सदस्य होकर बैठकों में आवश्यक रूप से पहुंचते रहे। उक्त संस्थाओं में आप नाम के सदस्य नहीं, अपितु काम में सबसे आगे रहते रहे।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा के संघ द्वारा संचालित आन्दोलन में आपने सर्वप्रथम हाथ बढ़ाया। शायद इसी के फलस्वरूप 1969 में आपको एक माह की जेल की हवा खानी पड़ी। सत्याग्रह एवं जेल जीवन की सुखद स्मृतियां आज भी प्रेरणा देने में नहीं चूकतीं। आपको फिराजाबाद के
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
101